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हिंदुओं के विरोध के बावजूद सती प्रथा और बहुविवाह पर बना था कानून, जिससे बदल गई उनकी जिंदगी- मीनाक्षी लेखी

तीन तलाक बिल पर चर्चा करते हुए बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि किसी के घर के अंदर भले ही खुद का कानून चलता हो लेकिन घर के बाहर एक ही कानून चलता है वो है भारत का संविधान

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Aditi Sharma
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हिंदुओं के विरोध के बावजूद सती प्रथा और बहुविवाह पर बना था कानून, जिससे बदल गई उनकी जिंदगी- मीनाक्षी लेखी

लोकसभा में गुरुवार को ट्रिपल तलाक बिल पर चर्चा हो रही है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लग रहा था कि ऐसे मामले में रुकेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 24 जुलाई तक तीन तलाक के 345 मामले सामने आ चुके हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा, आज मेरी इस सदन से गुजारिश है कि इस बिल को महिलाओं के साथ न्‍याय के नजरिए से देखें, इंसान और इंसानियत के नजरिए से देखें, यह नारी न्‍याय और नारी गरिमा का मामला है.

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वहीं तीन तलाक बिल पर चर्चा करते हुए बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि किसी के घर के अंदर भले ही खुद का कानून चलता हो लेकिन घर के बाहर एक ही कानून चलता है वो है भारत का संविधान. मीनाक्षी लेखी ने कहा, हिन्‍दुओं में सामाजिक सुधार इसलिए हुआ, क्‍योंकि समय से कानून लाया गया. हमारे समाज में भी बहुविवाह प्रचलन में था. लोग ऐसे ही नहीं सुधरे हैं. कानून के डर से सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, 1984-85 में शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था, लेकिन सब जानते हैं उसके बाद क्या हुआ. तब की सरकार शरीया अदालतें बंद कर देतीं तो मुसलिम महिलाओं के साथ इतना अन्‍याय न होता.

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मीनाक्षी लेखी ने आगे कहा, क्‍या हिन्‍दू कोड बिल स्‍वेच्‍छा से पास हुआ था, लोग बहुविवाह का अधिकार छोड़ना नहीं चाहते थे, अगर कानून नहीं बनता तो आज भी वैसे ही माहौल रहता और हिन्‍दू भी पिछड़े होते. कुरान कहता है- पापी को मिलेगा पाप का प्रतिफल, अब कोई बताए कि मुस्‍लिम महिलाओं के साथ अन्‍याय हो रहा है कि नहीं. कुरान अन्‍याय करने की इजाजत तो नहीं देता.

मीनाक्षी लेखी ने कहा, जब तक हम समानता के अधिकार को पूरी तरह लागू नहीं करते, तब तक इस तरह की समस्‍याएं आती रहेंगी. जेंडर जस्‍टिस के लिए ऐसा करना जरूरी है. उन्होंने कहा, अगर कोई महिला सती होना चाहती है तो क्‍या हम उसे नहीं रोकेंगे, अगर कोई अनपढ़ मां-बाप बच्‍चों को स्‍कूल नहीं भेजेंगे तो क्‍या हम ऐसा होने देंगे.

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