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तीन तलाक, आर्टिकल-370 और अब यूनिफॉर्म सिविल कोड?

देश की सियासत में एक बड़े भूचाल की आहट सुनाई दी है. आने वाले दिनों में एक बार बहस का केंद्र बिंदू देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुसंख्यक समाज होने वाला है. ये हम क्यों कह रहे हैं, ये जानने को उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी का ताज़ा बयान जानना ज़रूरी हैं.

Updated on: 25 Mar 2022, 06:14 PM

नई दिल्ली:

देश की सियासत में एक बड़े भूचाल की आहट सुनाई दी है. आने वाले दिनों में एक बार बहस का केंद्र बिंदू देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुसंख्यक समाज होने वाला है. ये हम क्यों कह रहे हैं, ये जानने के लिए उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी का ताज़ा बयान जानना ज़रूरी है. नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहुत बड़ा फैसला किया. 24 मार्च को धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी.

इसके बाद पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक-प्राकृतिक विरासत को बचाने के अलावा उत्तराखंड के बॉर्डर की सिक्योरिटी पूरे देश के लिए अहम है, इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कानून की यहां सख्त जरूरत थी. जिस तरह कर्नाटक से शुरू हुआ हिजाब विवाद देश के कई हिस्सों तक पहुंचा, उसके बाद पूरे आसार हैं कि अब उत्तराखंड से शुरू हुई यूनिफॉर्म सिविल कोड पर ताजा बहस बाकी राज्यों की सियासत को प्रभावित करेगी. 

फिलहाल धामी सरकार समान नागरिक संहिता के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने जा रही है. अगर जो धामी ने कहा है वो हो गया तो जान लीजिए उत्तराखंड समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा.

अब आपको बताते हैं की धामी कैबिनेट के फैसले पर शोर क्यों मच रहा है? दरअसल, हिंदुस्तान में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, वसीयत का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं. भारत में मुस्लिम, ईसाई और पारसी धर्म का अपना पर्सनल लॉ बोर्ड है. जबकि सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं. उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद सभी धर्मों को एक ही कानून के तहत सारे विवाद हल करने होंगे.