Advertisment

नोटबंदी: बदलते नियमों के बीच पिसता रहा आम आदमी, मुश्किल से बीते यह 50 दिन

नोटबंदी: बदलते नियमों के बीच पिसता रहा आम आदमी, मुश्किल से बीते यह 50 दिन

author-image
Shivani Bansal
एडिट
New Update
नोटबंदी: बदलते नियमों के बीच पिसता रहा आम आदमी, मुश्किल से बीते यह 50 दिन

फाइल फोटो

Advertisment

8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री ने एक झटके में 500 और 1000 रुपये के नोट को अमान्य कर दिया। पीएम मोदी के इस फैसले के बाद ही आम लोगों की मुश्किलों का दौर शुरू हुआ।

हालांकि सरकार ने रियायतों की भी घोषणा की। मसलन पेट्रोल, सीएनजी पंपों पर पुराने नोटों को 1 महीने के लिए मान्य रखा गया, सरकारी अस्पतालों और मेडिकल सेंटर्स पर बंद किए गए नोटों को 72 घंटे तक के लिए मान्य रखा गया। इसके अलावा रेलवे स्टेशनपर भी बंद किए गए नोटों के ज़रिए कुछ समय तक टिकट बुक करवाने की मोहलत दी गई। लेकिन यह सारे कदम नाकाफी ही रहे। 

प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद शुरू हुई आम आदमी की जद्दोजहद। सवा सौ करोड़ वाले देश में यह मोहलतें बेहद ही बचकाना साबित हुई और आम लोगों के सिर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा ऐसे समय की जबकि देश में शादियों का सीज़न था और लोगों ने शादी कि ज़रुरतों के लिए नकद रकम घर पर रखी हुई थी जो दूसरे ही दिन से कानूनी मान्यता खो चुकी थी। ऐसे में लोगों को शादी के मौसम में पैसे होते हुए भी बेहद तंगी का सामना करना पड़ा। 

और पढ़े- नोटबंदी के 50 दिन: डिजिटल इंडिया बनने की राह में रोड़ा है ये 6 चुनौतियां

सबसे ज़्यादा मुश्किल तो उन लोगों की थी जो अस्पताल में भर्ती थे और अपनी बीमारी के साथ-साथ कैश कि किल्लत से भी लड़ रहे थे। सरकार ने अस्पताल में पुराने नोट स्वीकार करने की मान्यता तो दी थी लेकिन सिर्फ सरकारी अस्पतालों में। निजी अस्पतालों पर यह नियम लागू नहीं था। ऐसे में दोनों तरफ से आम आदमी ने मुसीबत की मार झेली।

जो उच्च मध्यम वर्ग के थे और नकद उनके पास था वो उसे खर्च नहीं कर सकते थे क्योंकि अब वो कानूनी मान्यता खो चुके थे और इसीलिए निजी अस्पतालों और निजी डॉक्टर्स के क्लीनिक में इलाज के लिए उन्हें काफी मशक्कत झेलनी पड़ी। दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में भीड़ का आलम यह था कि पुराने नोटों के चलने के बावजूद सरकारी अस्पताल में बढ़ती भीड़ के कारण इलाज कराने में परेशानी हो रही थी।  

और पढ़े- नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने जब्त किए 505 करोड़ रुपये, 400 केस की जांच करेगी ईडी और सीबीआई

यहीं नहीं दो दिन की छुट्टी के बाद जब बैंक खुले तो भीड़ का आलम यह था लोग सुबह 6 बजे से ही बैंक के आगे लाइन लगा कर खड़े रहते थे। हालांकि इस बीच कानून व्यवस्था से जुड़ी कोई बड़ी घटना नहीं घटी। लेकिन नोटबंदी के वजह से करीब 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं सरकार समय-समय पर नियमों में बदलाव करती रही।

नोटबंदी के बाद लगातार सरकार के बदलते नियमों ने आम आदमी की कमर तो तोड़ी ही साथ ही बैंक अधिकारियों पर भी ख़ासा दबाव रहा। एक रिपोर्ट की मानें तो अब तक सरकार इस मुद्दे पर 59 बार नियम बदल चुकी है। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने इस फैसले का हर जगह जमकर बचाव किया और लोगों की तकलीफों पर मरहम लगाने की कोशिश भी की।

लेकिन देखना यह होगा कि क्या जनता अपनी तकलीफ को भूल प्रधानमंत्री का  साथ दे पाएगी साथ, या फिर जनता अपनी इन तकलीफों का जवाब सरकार को आगामी पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में देगी। 

HIGHLIGHTS

  • नोटबंदी का आम लोगों की ज़िंदगी पर पड़ा असर 
  • करीब 100 से ज़्यादा लोगों की लाइन में लग कर मौत 
  • बिना तैयारी सरकार ने की नोटबंदी की प्लानिंग 

Source : Shivani Bansal

Currency ban RBI Arun Jaitley Narendra Modi demonetisation Notebandi
Advertisment
Advertisment
Advertisment