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मजदूरों से किराया वसूलीः कांग्रेस ने केंद्र की सफाई खारिज कर पेश किया नया दावा

जयवीर शेरगिल ने किराया वसूली के दावे को पुख्तापन देने के लिए अपने टि्वटर हैंडल पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के दिशा-निर्देशों से जुड़ा एक प्रपत्र शेयर किया है.

Updated on: 04 May 2020, 01:56 PM

highlights

  • सरकार की सफाई के बाद कांग्रेस ने फिर किया किराया वसूली का दावा.
  • सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत विपक्ष घेर रहा है केंद्र सरकार को.
  • मोदी सरकार और समग्र विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज.

नई दिल्ली:

कोरोना लॉकडाउन (Corona Lockdown) के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे मजदूरों की घर वापसी पर रेलवे विभाग द्वारा किराया वसूलने का आरोप लगा मुंह की खाने के बाद कांग्रेस ने अपने आरोपों को लेकर एक नया दावा किया है. अब कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने दावा किया है कि घर वापसी को बेताब मजदूरों से संबंधित राज्य सरकार किराया वसूलने के बाद ही उन्हें टिकट थमा रही है. यह अलग बात है कि इसके पहले सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी के ऐसे ही आरोपों को धता बताते हुए रेल मंत्रालय ने साफ किया था कि किसी भी रेलवे स्टेशन से टिकट नहीं बेंचे जा रहे हैं. ऐसे में श्रमिकों से किराया वसूलने का आरोप बेबुनियाद, भ्रामक और दुष्प्रचार से ज्यादा कुछ नहीं है. हालांकि जयवीर शेरगिल ने किराया वसूली के दावे को पुख्तापन देने के लिए अपने टि्वटर हैंडल पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के दिशा-निर्देशों से जुड़ा एक प्रपत्र शेयर किया है.

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अब कांग्रेस ने पेश किया रेलवे का ही प्रपत्र
जयवीर शेरगिल ने दावा किया है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के किराया वसूली के आरोप बेबुनियाद नहीं है. यह तब है जब रेल मंत्रालय ने बकायदा एक प्रपत्र जारी कर कहा है कि श्रमिक स्पेशल चलाने पर आने वाले खर्च का 85 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार वहन कर रही है. सिर्फ 15 फीसदी खर्च ही संबंधित राज्य सरकारों से लिया जा रहा है. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सफर करने वाले एक भी मजदूर से एक भी रुपए वसूल नहीं किए गए हैं. इसके साथ ही बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय समेत अन्य नेताओं ने कांग्रेस पर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाया था.

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इसके तहत किराया वसूली के निर्देश
हालांकि रेल मंत्रालय समेत बीजेपी नेताओं की सफाई के बाद कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने नए सिरे से किराया वसूली करने का आरोप लगाया है. इसके लिए उन्होंने कथित तौर पर रेल मंत्रालय के दिशा-निर्देशों से जुड़े प्रपत्र का ही सहारा लिया है. इसके मुताबिक प्रपत्र में साफ कहा गया है कि संबंधित राज्य सरकार यात्रियों से टिकट में दर्ज किराया वसूल कर एकत्र हुई धनराशि खेल विभाग को जमा करेंगी. इस दावे के साथ एक बार फिर विद्यमान विवाद में नया पेंच आ जुड़ा है. इससे तो यही लगता है कि कांग्रेस का लगाया गया आरोप कम से कम लिखित तौर पर तो सही ही है. भले ही मजदूरों से एक रुपया भी नही वसूला गया हो. जैसा कि रेल विभाग और मोदी सरकार के नुमाइंदों द्वारा सफाई में कहा गया है.

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रेल मंत्रालय ने जारी किया स्पष्टीकरण
इस मसले पर विवाद बढ़ता देख रेल मंत्रालय ने बकायदा एक स्पष्टीकरण जारी किया. इसके तहत रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक प्रवासी कामगारों को घर पहुंचाने के लिए लोगों को सीधे टिकट नहीं बेचे जा रहे हैं. इसकी वसूली राज्य सरकार से की जाती है और मानक किराया ही लिया जाता है, जो कि खर्च का केवल 15 प्रतिशत है. राज्यों की सूची के मुताबिक ही लोगों को यात्रा की अनुमति दी जाती है. गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' ने इस मसले पर भी लोगों के बीच भ्रम का माहौल बनाते हुए फेक न्यूज़ शेयर की, जिसके बाद इस सिलसिले की शुरुआत हुई. इसके मुताबिक मजदूरों को अपने गृह राज्य जाने के लिए 50 रुपए अतिरिक्त किराया देना पड़ा. सोशल मीडिया पर रोहिणी सिंह जैसे पत्रकारों और सीताराम येचुरी जैसे नेताओं ने धड़ल्ले से इस ख़बर को शेयर कर के मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया. इसके उलट हकीकत यही है कि इन स्पेशल ट्रेनों के लिए आम लोगों द्वारा टिकट ख़रीदने का कोई प्रावधान ही नहीं है.

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सोनिया गांधी ने किया तीखा हमला
इसके पहले मजदूरों को लेकर जाने वाली ट्रेनों का किराया वसूलने पर कांग्रेस समेत समग्र विपक्ष ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था. सोनिया गांधी ने कहा था, दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?