क्या कहा था बापू ने अपनी किताब हिंद स्वराज में, अगर आप जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। आप इन कथनों को पढ़ेंगे तो लगेगा जैसे कि आज भी बापू भारत की राजनीति को अपनी आँखों से देख रहे हैं और सब देखने के बाद ये बयान दिया है। बापू धर्म पर बेबाक बात करते हैं। महात्मा हर उस मुद्दे को छूते हैं और छेड़ते हैं जो आज पल भर में विवादास्पद बन जाते हैं।
आखिर क्यों कहा हमने कि महात्मा होते तो आज की राजनीति देख लठ लेकर आते, खुद पढ़िए:
1. भारत को एक राष्ट्र बनाने के नाम पर खत्म नहीं किया जा सकता क्योंकि यहाँ कई धर्मों के लोग रहते हैं। विदेशियों का इस देश में आक्रमण जरूरी नहीं कि राष्ट्र की बर्बादी का कारण बने क्योंकि वो इसमें आकर मिल गए। एक देश एक राष्ट्र तभी बन सकता है जब उसमें इस तरह की बातों के लिए जगह हो। इसलिए जरूरी है कि देश में आत्मसात करने की क्षमता होनी चाहिए। भारत हमेशा से इसी तरह का एक राष्ट्र रहा है।
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय- 10
2. हकीकत में यहाँ इतने ही धार्मिक हैं जितने कि अलग अलग लोग हैं, मगर वो जो राष्ट्रीयता की भावना को समझते हैं वो एक दूसरे के धर्मों में दखलअंदाजी नहीं करते। दुनिया के किसी भी कोने में राष्ट्रीयता और धर्म एक नहीं हैं और ना ही भारत में ये कभी रहा है।
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय- 10
3. अगर मेरे अंदर गायों के लिए दया भाव भरा हुआ है तो मैं उसे बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूँगा मगर अपने भाई की जान नहीं लूँगा। ये मेरा तरीका है जो कि हमारे धर्म का नियम है। गायों की हिफाजत कौन करता है जब गायों को रखकर हिंदू दुर्व्यवहार करते हैं और गायों को बर्बाद करते हैं।
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय - 10
4. मुझे लगता है कि आप चाहते हैं कि हिंदुस्तान में लाखों लोग खुश रहें, ना कि आप ये चाहते हैं कि सरकार की लगाम आपके हाथ में रहे। और अगर ऐसा है तो फिर हमको एक बात सोचनी होगी कि इस तरह कैसे लाखों लोग स्वराज हासिल कर पाएंगे।
महात्मा गाँधी, हिंद स्वाराज, अध्याय - 15
5. क्या लोग एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं जब वो अपना मज़हब बदलते हैं? क्या मोहम्डन के खुदा हिंदूओं के खुदा से अलग है?
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय - 10
6. एक अखबार का काम आम भावनाओं को समझना और उसकी अभिव्यक्ति करना है, और उसका दूसरा काम है कि वो लोगों में कुछ वांछनीय भावनाओं को जगाए और तीसरा काम निडर होकर बड़ी बुराइयों का पर्दाफाश करना है।
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय-1
7. हम जो न्याय की माँग करते हैं तो हमें भी दूसरों के साथ न्याय करना होगा
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय-1
8. सिर्फ वही लोग निडर हैं जो सच नहीं छुपाते......क्योंकि जब कोई सच छुपाता है तो वो किसी ना किसी तरह के खौफ में जी रहा होता है
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय-17
9. शक्ति इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपके शरीर में मांस और मांसपेशियों की मात्रा कितनी है, बल्कि शक्ति निडर होने में निहित है"
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय - 8
10. वो लोग जो कुछ अच्छा करना चाहते हैं वो स्वार्थी नहीं होते, वो जल्दबाजी में नहीं होते, वो जानते हैं कि लोगों में अच्छाई डालने में लंबा समय लगता है। मगर बुराई के पंख होते हैं। घर बनाने में वक्त लगता है तोड़ने में नहीं
महात्मा गाँधी, हिंद स्वराज, अध्याय-9
Source : Arib Mehar