सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केरल स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी अपने निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वह 13 नवंबर को सुनवाई करेगा. सप्ताह भर तक विरोध प्रदर्शन के बाद अभी तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं हो पाया है.
उधर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सबरीमला में हिंसक प्रदर्शन को लेकर मंगलवार को बीजेपी और आरएसएस पर हमला बोला. सबरीमला में भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए जाने के बाद से, इस फैसले के विरोध में यहां प्रदर्शन हो रहा है.
10 से 50 साल की कम से कम 12 महिलाओं ने मंदिर पहुंचने की नाकाम कोशिश की और उन्हें प्रदर्शनों के चलते लौटना पड़ा. यहां तक कि 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को भी सबरीमला में रोक लिया गया.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुंपरा से कहा कि इस मामले को 13 नवंबर को सूचीबद्ध करने के लिये पहले ही आदेश पारित किया जा चुका है.
नेदुंपरा राष्ट्रीय अय्यप्पा श्रद्धालु एसोसिएशन का पक्ष रख रहे थे. उन्होंने फैसले के खिलाफ याचिका का तत्काल सुनवाई के लिए फिर से उल्लेख किया.
न्यायालय ने कहा कि सबरीमला से जुड़े मामलों पर 13 नवंबर को शाम पांच बजे सुनवाई होगी. आदेश पारित कर दिया गया है.
इससे पहले अदालत ने कहा था कि मामले में एसोसिएशन और अन्य द्वारा सबरीमला संबंधी फैसले पर पुनिर्वचार के लिए 19 याचिकायें दायर की गयी हैं.
न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के बहुमत से अपने फैसले में कहा था कि सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए.
न्यायालय ने नौ अक्टूबर को इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिये दायर नेदुंपरा की याचिका पर शीघ्र सुनवाई से इंकार कर दिया था. पीठ ने कहा था कि पुनर्विचार याचिकाओं पर विजयादशमी अवकाश के बाद ही सुनवाई की जा सकेगी और वह सुनवाई भी खुले न्यायालय में नहीं अपितु कक्ष में होगी.
राष्ट्रीय अय्यप्पा श्रद्धालु एसोसिएशन अध्यक्ष शैलजा विजयन ने इस पुनर्विचार याचिका में कहा है कि आस्था का आकलन वैज्ञानिक या तार्किक कारणों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस संबंध में कहा कि पूजा के अधिकार का मतलब अपवित्र करने का अधिकार नहीं है.
उन्होंने मुंबई में एक समारोह में कहा, ‘‘मुझे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बोलने का अधिकार नहीं है और मैं कैबिनेट मंत्री हूं. लेकिन सामान्य भावना यह है कि क्या आप माहवारी के रक्त से सना नैपकिन लेकर किसी दोस्त के घर में जाओगे. नहीं जाओगे. और क्या आप सोचते हो कि भगवान के घर में जाते हुए ऐसा करना सम्मानजनक है? यही अंतर है. मुझे पूजा-प्रार्थना का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का नहीं. हमें इस अंतर को समझना होगा और सम्मान करना होगा.’’
विजयन ने आरोप लगाया कि 10-50 साल की महिलाओं को इस मंदिर में पूजा से रोकने और इस ऐतिहासिक घटनाक्रम को कवर करने आए पत्रकारों पर हमले का षड्यंत्र आरएसएस ने रचा था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के, सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले आदेश को लागू करना राज्य सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है और मंदिर परिसर को ‘युद्ध क्षेत्र’ तब्दील करने की किसी भी कोशिश की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सबरीमला में जब महीने में एक बार होने वाली पूजा के लिए 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक मंदिर का दरवाजा खोला गया तो यहां तनावपूर्ण और नाटकीय माहौल देखने को मिला.
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया कि अदालत के आदेश को लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस ने राज्य सरकार की पुलिस को सांप्रदायिक रंग देने ‘घृणित प्रयास’ किया. मुख्यमंत्री प्रत्यक्ष तौर पर आईजीपी मनोज अब्राहम और एस श्रीजीत पर हुए साइबर हमले का जिक्र कर रहे थे. इन दोनों अधिकारियों को मंदिर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया था.
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मुख्यमंत्री ने मंदिर के तंत्री कंदारारू राजीवारू की भी आलोचना की जिन्होंने कहा था कि अगर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है तो वह मंदिर बंद करके चले जाएंगे.
Source : News Nation Bureau