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भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा की

कमांडर अंतरिक्ष, साइबर, कृत्रिम मेधा और ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में वायुसेना की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर गहन चर्चा करेंगे.

Updated on: 25 Nov 2019, 07:14 PM

दिल्ली:

भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडरों ने भारत के पड़ोसी देशों में बदलते सुरक्षा परिदृश्य और वायु क्षेत्र में देश की ताकत और क्षमता मजबूत करने के तरीके पर सोमवार को विचार मंथन किया. अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की. कमांडर अंतरिक्ष, साइबर, कृत्रिम मेधा और ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में वायुसेना की क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर गहन चर्चा करेंगे. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में भारत के पड़ोसियों और अन्य देशों में बदलते सुरक्षा परिदृश्य पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है. इस दौरान लघु एवं दीर्घकाल में वायुसेना की क्षमता मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

एक बयान में सिंह के हवाले से बताया गया, ‘‘मैं भारतीय वायुसेना की उसके पेशेवर रवैये के लिए प्रशंसा करता हूं और सर्वाधिक सक्षम एवं लड़ाकू बल देने के लिए सभी वायुसैनिकों एवं उनके परिवार की सराहना करता हूं. दूसरे देशों की वायुसेना भी हमारी वायुसेना का सम्मान करती है जो हमारे साथ सहयोग और अभ्यास करना चाहती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी रक्षा क्षमताओं को घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी और सैन्य उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम करके मजबूत कर रहे हैं. हमें स्वदेशी डिजाइन और विकास के अवसरों को भुनाना होगा और इस सिलसिले में मैं भारतीय वायुसेना के प्रयासों की सराहना करता हूं.’’

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार भदौरिया ने कमांडरों को संबोधित करते हुए संचालन क्षमताओं को और बढ़ाने पर जोर दिया ताकि शत्रुओं के किसी भी दुस्साहस को रोका जा सके. उन्होंने आईएएफ को मजबूत लड़ाकू बल बनाने के लिए देखभाल क्षमताओं में बढ़ोतरी और नये सैन्य उपकरणों के अधिकतम इस्तेमाल की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और विभिन्न बलों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त प्रशिक्षण बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया. अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना की महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण योजना का शीघ्र क्रियान्वयन मुख्य प्राथमिकता होगा.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में बल की तत्परता एवं समग्र बुनियादी ढांचे में सुधार करने पर पिछले कुछ साल में मुख्य रूप से ध्यान दिया गया है. कमांडर इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि वायुसेना खासकर सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत अधिग्रहणों के जरिए रक्षा विनिर्माण की देश की क्षमताओं को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों में कैसे मदद कर सकता है. सरकार ने सामरिक भागीदारी मॉडल की घोषणा मई 2017 में की थी जिसके तहत बड़ी वैश्विक रक्षा कंपनियों की मदद से भारत में पनडुब्बियां और लड़ाकू विमान जैसे अहम सैन्य उपकरणों के निर्माण में निजी कंपनियों को शामिल किया जा रहा है.