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Toolkit Case: दिशा रवि ने कोर्ट से कहा- मेरा कसूर ये है कि मैंने ग्रेटा से बात की

टूल किट अपने आप में सिंपल नज़र आ सकती है, पर ऐसा नहीं है. ड्राफ्टिंग जे बाद ये कमेंट के लिए व्हाट्सएप्प ग्रुप पर शेयर की गई. बाद में ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ शेयर की गई.

Updated on: 20 Feb 2021, 05:25 PM

नई दिल्ली :

टूलकिट केस पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दिशा रवि की जमानत पर सुनवाई हुई . PP इरफ़ान अहमद - दिशा रवि को  हमारे ही आग्रह पर जेल भेजा गया. हमने 22 फरवरी को पूछताछ के लिए शांतनु को नोटिस जारी किया है. हमें आगे दिशा की रिमांड लेकर बाकी के साथ आगे दिशा का आमना सामना करना है. लिहाजा दिशा की ओर से लगाई गई ज़मानत अर्जी premature है. कोर्ट का सवाल -आपकी दलील को हम रिकॉर्ड करेगे लेकिन कल का JC का आदेश कैसे हमे आज ज़मानत अर्जी सुनने से रोक रहा है.

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ASG SV राजू वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हो रहे है. उन्होने कहा - हम हलफनामा दाखिल करेंगे. ASG SV  राजू- कनाडा में एक अलगवादी सँगठन है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन - इसका मकसद किसान आंदोलन की आड़ में गतिविधियों को अंजाम देना है.धालीवाल इसका हेड है. इसका मक़सद एक अलग देश का है. ASG SV राजू - इसके लिए साजिशन टूलकिट का इस्तेमाल किया गया है. ये अपने आप में देशद्रोह का मामला बनता है. एक वाट्सएप्प ग्रुप इंटरनेशनल फार्मर स्ट्राइक के नाम से बनाया गया. मकसद  पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से सम्पर्क का था 

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11 जनवरी को धालीवाल और दिशा2 रवि के दूसरे सहयोगियों के बीच ज़ूम कॉल पर बात हुई.

मीटिंग के बाद सहयोगियों ने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को धन्यवाद दिया . जाहिर है ये लोग इस अलगाववादी सगठन के साथ साजिश में शामिल थे
यही नहीं, दिशा एक और ज़ूम मीटिंग करने की बात करती है. ये अकेली कोई मीटिंग नहीं थी. दो - तीन और मीटिंग इसके बाद होनी थी

टूल किट अपने आप में सिंपल नज़र आ सकती है, पर ऐसा नहीं है. ड्राफ्टिंग जे बाद ये कमेंट के लिए व्हाट्सएप्प ग्रुप पर शेयर की गई. बाद में ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ शेयर की गई.

सेना वाली बात ASG ने टूल किट के सन्दर्भ में नहीं की. बल्कि वो genocide watch., com वेबसाइट का जिक्र करते की. इस वेबसाइट में इन सब बातों का जिक्र है- जम्मूकश्मीर जर हालतों का

वेबसाइट के कंटेंट का जिक्र करते हुए ASG राजु ने बतातया कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन , कनाडा में मौजूद संगठन इसके पीछे थे. वो चाहते थे कि कोई लाल किले पर झंडा फहरा दे. ईमेल डिलीट कर दिया गया. आप पता नहीं लगा सकते कि किसने उसे बनाया.
26 जनवरी से पहले टेम्पलेट तैयार किया गया , वो detail तैयार की जो लोगों के साथ शेयर करनी थी. पोएटिक जस्टिस , अंतराष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन को उठा रहा है. ये अनायास नहीं है, सोची समझी साजिश इसके पीछे है.

ASG - निकिता ने टूल किट को एडिट किया. उसने सबूत भी खत्म किये.

वैंकुवर अलगाववादी  गतिविधियों का केंद्र बन गया है.किसान एकता कंपनी जैसे यहां के संगठन वैंकुवर में मौजूद सँगठनो के सम्पर्क में थे..
शांतनु खुद दिल्ली आया ये देखने के लिए क्या कुछ होता है.

इस टूल किट को पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ शेयर किया गया. ये इनके घृणित  मकसद को साफ जाहिर करता है . इनका मकसद पुलिस को बल प्रयोग के लिए उकसाना था, पर पुलिस ने ऐसा क्या नहीं. 

दिशा रवि ने पुलिस पूछताछ में झूठ बोला, टूल किट को लेकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की.हमे  कुछ पॉइंट्स पर उसे confront करना है. व्हाट्सएप्प chat शो करता है कि वो टूल किट बनाने और एडिट करने में शामिल थी. हमारे पास उसके खिलाफ सबूत है. जब हमने सबूत दिखाए, उसका झूठ पकड़ा गया . ये तो शुरुआती जांच की बात है. क्या कुछ और डिलीट हुआ , इसके लिए हमे इसे FSL को भेजना होगा.


ASG - ये लोग चाहते थे कि लोग दिल्ली आए. जो कुछ दिल्ली में 26 जनवरी को हुआ, इनकी वजह से हुआ. ASG ने एक अन्य वेवसाईट का जिक्र किया - ASK indiaWHY का जो कथित तौर पर अलगावादी संगठन से जुड़ी है.

कोर्ट का सवाल- क्या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन एक प्रतिबंधित संगठन है. ASG - नहीं,ये प्रतिबंधित संगठन नहीं है

जज- क्या धालीवाल या अनीता  के खिलाफ  अभी  FIR पेंडिंग है. ASG - मुझे अभी कोई FIR लंबित होने की जानकारी नहीं है, आगे हो सकती है.

कोर्ट- तब उन पर कैसे सवाल उठाए जा सकते है. क्या उन पर जो आरोप रखे गए है, उसको साबित करने के लिए पुख्ता सबूत भी है!

PP इरफान अहमद- पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और सिख फ़ॉर जस्टिस का मकसद एक ही है. धालीवाल के खिलाफ सबूत है जिसमें वो खुलकर ख़ुद को अलगाववादी बता रहा है.

अनिता लाल पोएटिक जस्टिस की संस्थापक सदस्यों में से एक है. 11 जनवरी को हुई मीटिंग में अनिता, धालीवाल दोनो थे. शांतनु और निकिता भी थे. इसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप्प पर बात की और 20 जनवरी को टूल किट बनाई गई.

जज - अगर मैं किसी आंदोलन से भावनात्मक रूप से जुड़ा हूँ और इस सिलसिले मैं कुछ ऐसे लोगों से मिलता हूँ, जिनका तरीका अलग है तो उनलोगों पर लगे आरोपों के साथ आप मुझे कैसे जोड़ेंगे.

ASG - ये वो लोग हैं जो अपने मकसद के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते है. हर किसी को धालीवाल का पता है.

जज - ऐसा नहीं सर, मैं धालीवाल को नहीं जानता.

ASG - ठीक है माना, लेकिन अगर पोएटिक जैसे किसी सँगठन के आदमी के  सम्पर्क में आता हूँ, तो मैं कुछ रिसर्च करुंगा. कुछ तहकीकात तो करूँगा.

जज - टूलकिट का 26 जनवरी को हुई हिंसा से क्या सम्बंध है?

ASG -साजिश में सबका रोल एक जैसा नहीं होता. इस टूल किट से हिसा को उकसावा मिला. किसी ने झंडा फहराया . टूल किट में लगातार दिल्ली जाने की बात हो रही है. उसके बाद ये सब घटनाएं हुई. 

कोर्ट- लेकिन कैसे?
आप मुझे आश्वस्त नहीं कर पा रहे है कि टूल किट का 26 जनवरी की हिंसा से क्या सम्बंध है? सवाल ये है कि हम क्या कयासों के आधार पर नतीजे पर पहुँच रहे है.

ASG बार बार अपनी दलीलो के जरिये इसके पीछे अलगाववादी सँगठन होने की बात कह रहे है. ASG ने SC के पुराने फैसले का हवाला दिया. कहा- बंद के लिए भी कॉल होती है, तो उसकी भी जवाबदेही बनती है. यहां इन लोगो को पता था कि हिंसा होने वाली है.

ASG - ये कोई छोटा मोटा अपराध नही है, ये गम्भीर मामला है. 100 से ज्यादा पुलिस वाले जख्मी हुए है. दिशा ने सबूत मिटाए है. बेल नहीं  मिलना चाहिए.

ASG की बात पूरी होने जे बाद कोर्ट ने PP से कहा - ASG कह चुके है कि अलगाववादी संगठनो से लिंक की बात. आप उनकी दलीलो को मत दोहराए. आप मुझे बताइये कि टूल किट का आखिर 26 जनवरी को हुई हिंसा से क्या सीधा सम्बंध है.

कोर्ट ने पूछा कि आप कैसे  इन साजिशकर्ता को कैसे हिंसा करने वाले से जोड़ रहे है. दोनो के बीच क्या कनेक्शन है.

PP ने बात रखी लेकिन इसी बीच ASG ने फिर से बात कहने की इजाजत मांगी. कहा - साजिश का प्लान, अमल दोनों अलग अलग चीजें है. मसलन अगर किसी ने  किसी को  मारने की सुपारी दी तो दूसरा आदमी मारता है, पर पहला आदमी इससे बेगुनाह तो नहीं हो जाता. यहाँ साजिश के तहत डॉक्यूमेंट बनाया गया, जिसके जरिये मकसद हिंसा फैलाना था.

कोर्ट - तो मैं ये मानकर चलूं कि आपको कनेक्शन साबित करने के लिए कोई सीधा लिंक नहीं है.

ASG - अभी जांच जारी है, 7 लोग गिरफ्तार हुए है. अभी जांच जारी है.

जज- यहां तो मैं ठीक से सवाल नहीं पूछ पा रहा है या जानबूझकर जवाब नहीं देना चाहते.

सरकारी पक्ष की वकील के बाद अब दिशा के वकील ज़मानत के समर्थन में दलील रख रहे है . कहा - मेरा मुवक्किल 22 साल की पढ़ी लिखी महिला है. उनके अतीत, वर्तमान, भविष्य का अलगवादी ताकतो से कोई वास्ता नहीं है.

अग्रवाल - कोई ऐसी बातचीत नहीं जिससे वो साबित कर सके कि दिशा सिख फ़ॉर जस्टिस से जुड़े किसी शख़्स से बात हुई हो. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से उसका लिंक नहीं. दिशा की फील्ड पर्यावरण, खेती की है. अगर मैं किसी से मिलती हूँ तो ज़रूर तो नहीं कि मुझे उसके जीवन के हर पहलु की जानकारी हो.

अग्रवाल -ज़ूम कॉल में धालीवाल के साथ निकिता और शांतनु थे, 60-70 लोग और भी थे, पर  दिशा उस बातचीत में नहीं थी.

अग्रवाल - 5 दिन तक क्या पुलिस सोती रही. अब 22 फरवरी को मेरी रिमांड क्यों चाहिए. एक तरफ वो कहते है कि निकिता, शांतनु मुख्य आरोपी है, दूसरा ये आरोप लगा रहे है कि मैं उन पर आरोप शिफ्ट कर रही हूँ, क्या ऎसा संभव है. ये कह रहे है कि शांतनु से आमना सामना कराना है. होगा ये कि शान्तनु को बॉम्बे HC से राहत मिल जाएगी और मैं कस्टड़ी में ही रहूगी. मैं आश्वस्त कर रही हूँ कि जमानत मिलने पर दिल्ली छोड़कर नहीं जाऊंगी, जांच में बाधा नहीं बनूगी.

दिशा के वकील अग्रवाल टूल किट के कंटेट का बिंदुवार  जिक्र कर रहे है- ये साबित करने के लिए उसका  26 जनवरी को हुई हिंसा से कोई वास्ता नहीं है.
ये देशद्रोह का मामला नहीं बनता.

दिशा के वकील सिद्दार्थ अग्रवाल - अगर दिशा बड़ी साजिश का हिस्सा होगी तो भला अपने मोबाइल का इस्तेमाल क्यों करेगी. मेरा कसूर ये है कि मैंने ग्रेटा से बात की और उन्हें किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के लिए बोला. पर ग्रेटा का ट्वीट किसान आंदोलन को लेकर था, किसी  अलगाववादी आंदोलन के बारे में नहीं.