जीनत ने बताया, बुढ़ापे में मैं थोड़ी अनुशासनहीन हो गई हूं
झारखंड हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश, आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेजी से पूरा करें
Maharashtra News: नागपुर में इंडिगो फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग, यात्रियों और एयरपोर्ट प्रशासन में मचा हड़कंप
हावड़ा के रास्ते डिपोर्ट होगा बांग्लादेशी युवक, जबलपुर पुलिस ने किया था गिरफ्तार
नीतीश कटारा हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाई
यू मुंबा के कप्तान सुनील कुमार ने बचपन के कोच को सम्मानित किया
इंडिगो-एयर इंडिया ने यात्रियों के लिए जारी की ट्रैवल एडवाइजरी, यात्रा से पहले चेक करें फ्लाइट स्टेटस
कांग्रेस ने 75 सालों में बयानबाजी के अलावा कोई काम नहीं किया : अरुण साव
तमिलनाडु : मदुरै में 22 जून को मुरुगन भक्तों का विशाल सम्मेलन, पांच लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद

इतिहास में आज का दिनः हैप्पी बर्थ डे कोलकाता, 1690 में आज के ही दिन हुई थी शहर की स्‍थापना

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की स्थापना जॉब चार्नोक ने अगस्त 1690 में की थी।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की स्थापना जॉब चार्नोक ने अगस्त 1690 में की थी।

author-image
desh deepak
एडिट
New Update
इतिहास में आज का दिनः हैप्पी बर्थ डे कोलकाता, 1690 में आज के ही दिन हुई थी शहर की स्‍थापना

कोलकाता का स्थापना (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की स्थापना जॉब चार्नोक ने अगस्त 1690 में की थी। कोलकाता भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर और पांचवा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से 170 किलोमीटर दूर हुगली नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।

Advertisment

भारत की बौद्धिक राजधानी माना जाने वाला कोलकाता ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश एम्पायर का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर को किसी जमाने में पूरब का मोती पुकारा जाता था। अंग्रेज़ इसे भले ही 'कैलकटा' पुकारते थे लेकिन बंगाल और बांग्ला में इसे हमेशा से कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही पुकारा जाता रहा है जबकि हिन्दी भाषा में इसको कलकत्ता या कलकत्ते के नाम से पुकारते रहे है।

कोलकाता के नाम का उल्लेख मुगल बादशाह अकबर (शासन काल, 1556-1605) के राजस्व खाते में और बंगाली कवि बिप्रदास (1495) द्वारा रचित 'मनसामंगल' में भी मिलता है। एक ब्रिटिश बस्ती के रूप में कोलकाता का इतिहास 1690 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक अधिकारी जाब चार्नोक द्वारा यहां पर एक व्यापार चौकी की स्थापना से शुरू होता है।

पढ़ें - बिहार में महिला को निर्वस्त्र घुमाने पर तेजस्‍वी ने किया नीतीश पर तंज, पूछा- कब जागेगी अंतरात्मा

1717 में मुग़ल बादशाह फ़र्रुख़सीयन ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को 3,000 रुपये वार्षिक भुगतान पर व्यापार की अनुमति दे दी। इस व्यवस्था ने कोलकाता के विकास को बहुत बढ़ावा दिया। बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारी शहर में एकत्र होने लगे। कम्पनी के झण्डे के नीचे कम्पनी के कर्मचारी शुल्क-मुक्त निजी व्यापार करने लगे।

1772 तक कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी नहीं बना, उस वर्ष प्रथम गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिग्ज़ ने प्रान्तीय मुग़ल राजधानी मुर्शिदाबाद से सभी महत्त्वपूर्ण कार्यालयों का स्थानान्तरण इस शहर में किया। 1773 में बंबई और मद्रास, फ़ोर्ट विलियम स्थित शासन के अधीन आ गए। ब्रिटिश क़ानून को लागू करने वाले उच्चतम न्यायालय ने अपना प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार शहर में मराठा खाई तक लागू करना प्रारम्भ कर दिया।

1947 में बंगाल का विभाजन अन्तिम प्रहार था। कोलकाता की जनसंख्या बढ़ गई थी, यहां सामाजिक समस्याएं भी तीव्र हो गईं और भारत के लिए स्वशासन की मांग भी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कोलकाता बंदरगाह पर हुए जापानी हवाई हमलों से बहुत नुक़सान हुआ और जनहानि भी हुई।

पढ़ें- गरीबों का नेता कहे जाने वाले लालू प्रसाद बिहार के सबसे बड़े जमींदार: सुशील मोदी

1947 में बंगाल के भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन से कोलकाता बहुत पिछड़ गया, क्योंकि यह अपने पूर्व पृष्ठभाग के एक हिस्से का व्यापार खोकर, केवल पश्चिम बंगाल की राजधानी बनकर रह गया।

Source : News Nation Bureau

West Bengal job charnok capital of west bengal established history of culcutta history of kolkata kolkata
      
Advertisment