तमिलनाडु संकटः जब सुप्रीम कोर्ट ने आठ मिनट में तय किया शशिकला का भाग्य, जानें क्या है डीए केस

एआईएडीएमके महासचिव वीके शशिकला पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार साल जेल की सजा सुनाई है।

एआईएडीएमके महासचिव वीके शशिकला पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार साल जेल की सजा सुनाई है।

author-image
abhiranjan kumar
एडिट
New Update
तमिलनाडु संकटः जब सुप्रीम कोर्ट ने आठ मिनट में तय किया शशिकला का भाग्य, जानें क्या है डीए केस

एआईएडीएमके महासचिव वीके शशिकला पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार साल जेल की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लागाया है।

Advertisment

इस मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता पर भी आरोप था। लेकिन निधन की वजह से उन्हें बरी कर दिया गया। जयललिता का पिछले साल पांच दिसंबर को निधन हो गया था।

कोर्ट के इस आदेश के बाद उन्हें तीन साल छह महीने की सजा जेल में काटनी पड़ेगी। इस मामले में वे पहले ही छह महीने की सजा काट चुकी हैं। कोर्ट का फैसला न सिर्फ शशिकाला के लिये बल्कि तमिलनाडु का राजनीति के लिये भी अहम है।

जानें कैसे शुरू हुआ आदलती लड़ाई और कहां-कहां आए नाटकीय मोड़

साल 1996: जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि साल 1991 से 1996 तक तमिलनाडु का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 66.65 करोड़ की संपत्ति जमा की। आरोप में स्वामी ने कहा कि यह आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है।

7 दिसंबर 1996: स्वामी के आरोपों के बाद जयललिता को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

साल 1997: इस मामले में जयललिता और तीन अन्य के खिलाफ चेन्नई की एक अदालत में मुकदमा शुरू हुआ।

4 जून 1997: अदालत में दायर चार्जशीट में इन लोगों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 13 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (ई) के तहत आरोप लगाए गए।

1 अक्तूबर 1997: तत्कालीन राज्यपाल एम फतिमा बीबी की ओर से मुकदमा चलाने को मंजूरी दी गई की चुनौती देने वाली जयललिता की तीन याचिकाएं मद्रास हाई कोर्ट ने खारिज कर दी।

अगस्त 2000: 250 गवाहों की गवाही हुई, केवल 10 बचे रहे।

मई 2001: विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके स्पष्ट बहुमत मिला। जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई। इसका आधार बनाया गया अक्तूबर 2000 में तमिलनाडु स्माल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (टीएएनएसआई) मामले में उन्हें दोषी ठहराया जाना। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति रद्द कर दी।

21 फरवरी 2002: जयललिता आंदीपट्टी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में विजयी हुईं और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

2003: डीएमके महासचिव के अनबझगम ने इस मामले को कर्नाटक ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची। उनका कहना था कि जयललिता के मुख्यमंत्री रहते तमिलनाडु में इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।

18 नवंबर 2003: सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक मामले को बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया।

19 फरवरी 2005: कर्नाटक सरकार ने राज्य के पूर्व महाधिवक्ता बीवी आचार्य को इस मामले में विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया।

अक्तूबर-नवंबर 2011: सुनवाई के दौरान जयललिता विशेष अदालत में पेश हुईं और एक हजार से ज्यादा सवालों के जवाब दिए।

12 अगस्त 2012: आचार्य ने इस मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में काम करने में असमर्थता जताई। कर्नाटक सरकार ने जनवरी 2013 में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।

2 फरवरी 2013: कर्नाटक सरकार ने जी भवानी सिंह को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया।

26 अगस्त 2013: कर्नाटक सरकार ने इस मामले से भवानी सिंह को हटाने की अधिसूचना जारी की।

30 सितंबर 2013: सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी।

12 दिसंबर 2013: विशेष अदालत ने डीएमके महासचिव की अपील पर जयललिता से 1997 में बरामद मूल्यवान वस्तुओं और अन्य संपत्तियों को चेन्नई में आरबीआई के खजाने में जमा कराने को कहा।

27 सितंबर 2014: विशेष अदालत ने अपने फैसले में जयललिता और शशिकला समते तीन को दोषी ठहराया। जयललिता को चार साल की जेल और 100 करोड़ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

29 सितंबर 2014: जयललिता ने कर्नाटक हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देकर जमानत की मांग की।

7 अक्तूबर 2014: हाई कोर्ट में जमानत याचिका खारिज।

9 अक्तूबर 2014: जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की। 14 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट को तीन महीने में सुनवाई पूरी करने को कहा।

18 अक्तूबर 2014: 21 दिन जेल में बिताने के बाद जयललिता रिहा हो गईं।

11 मार्च 2015: जयललिता की अपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने आय से अधिक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

27 अप्रैल 2015: द्रमुक महासचिव ने कर्नाटक हाई कोर्ट से फैसला सुनाने की अपील की।

8 मई 2015: कर्नाटक हाई कोर्ट ने अधिसूचित किया कि जस्टिस सीआर कुमारस्वामी की विशेष अवकाशकालीन पीठ जयललिता की अपील पर 11 मई 2015 को फैसला सुनाएगी।

11 मई 2015: कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता और तीन अन्य को बरी कर दिया।

23 जून 2015: आय से अधिक मामले से जयललिता को दोषमुक्त किए जाने को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

7 जुलाई 2015: कर्नाटक सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को नोटिस जारी किया।

23 फरवरी 2016: जयललिता को दोषमुक्त किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।

7 जून 2016: जयललिता के खिलाफ आय से अधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित किया।

5 दिसंबर 2016: लंबी बीमारी के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन।

14 फरवरी 2017: सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला और दो अन्य को दोषी करार दिया।

Source : News Nation Bureau

AIADMK jayalalithaa sasikala
      
Advertisment