तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद के मानसून सत्र में भारतीय समुद्री मत्स्यपालन विधेयक, 2021 पर आगे नहीं बढ़ने का आग्रह किया है।
इससे पहले मछुआरा संघों और वीसीके नेता डी. रविकुमार ने इस मामले को उठाया था और प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और काले झंडे दिखाए थे।
आईएएनएस ने 20 जुलाई को खबर दी थी कि मछुआरा संघ राज्य भर में बड़े पैमाने पर आंदोलन की योजना बना रहे हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार शाम को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री से प्रस्तावित भारतीय समुद्री मत्स्य पालन विधेयक 2021 पर आगे नहीं बढ़ने को कहा क्योंकि यह पूरी तरह से मछुआरों के हितों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान द्वारा प्रदत्त मछुआरों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधेयक में ऐसे कई प्रावधान हैं जो मछुआरों को कारावास, उन पर जुमार्ना लगाने, उनके अपराधीकरण और उनके खिलाफ बल प्रयोग का कारण बन सकते हैं और इस विधेयक ने राज्य के तटीय क्षेत्रों में अशांति पैदा कर दी है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान विधेयक पर हितधारकों की राय लेने के बाद मछुआरा समुदाय के सुझावों को ध्यान में रखते हुए नया विधेयक पेश करने का निर्णय लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि डी. रविकुमार, विल्लुपुरम निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य, ने मुख्यमंत्री स्टालिन से भारतीय समुद्री मछुआरा विधेयक 2021 में हस्तक्षेप करने का आह्वान किया था। वीसीके नेता ने इससे पहले केंद्रीय मत्स्य मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन में इस मसौदा प्रस्ताव का विरोध किया था।
कई मछुआरा संघ भी बिल के खिलाफ सामने आए थे और प्रस्तावित बिल के खिलाफ सोमवार को चेन्नई में विरोध प्रदर्शन और काले झंडे का प्रदर्शन किया था।
दक्षिण भारतीय मछुआरा कल्याण संघ के अध्यक्ष, के. भारती मसौदा विधेयक के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे है।
उन्होंने आईएएनएस को बताया, मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई की है और गेंद अब प्रधानमंत्री के पाले में है। हम प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हमारे मुख्यमंत्री और उनकी प्रतिक्रिया जानने के बाद आगे आंदोलन की योजना बनाएंगे।
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Source : IANS