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टीएमसी के विधायक बिस्वजीत दास और 12 टीएमसी पार्षद बीजेपी में शामिल

टीएमसी के विधायक बिस्वजीत दास और 12 टीएमसी पार्षद बीजेपी में शामिल

Updated on: 18 Jun 2019, 07:05 PM

highlights

  • टीएमसी से जारी है नेताओं का पलायन
  • एक विधायक और 12 पार्षद बीजेपी में शामिल
  • कांग्रेस प्रवक्ता प्रसनजीत घोष ने भी बीजेपी ज्वाइन की 

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद से पश्चिम बंगाल में लगातार टीएमसी नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला जारी है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक है और टीएमसी के ईकाई से लेकर राज्यस्तर तक के नेता लगातार पार्टी से पलायन करने में लगे हैं. नताओं के लगातार पाला बदलकर सूबे मेंं भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले रहे हैं.  ऐसे में विधायकों के पलायन से तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की चिंताएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के बोंगांव से विधायक बिस्वजीत दास समेत पार्टी के 12 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए. 

आपको बता दें कि टीएमसी के विधायक बिस्वजीत दास के अलावा उनकी पार्टी के 12 टीएमसी पार्षदों ने भी भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है. उनके अलावा पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रवक्ता प्रसनजीत घोष ने भी हाथ का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है इन नेताओं ने भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजय वर्गीय की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा है.

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आपको बता दें कि एक दिन पहले यानि सोमवार को नौपाड़ा से टीएमसी विधायक सुनील सिंह समेत पार्टी के 12 पार्षदों ने बीजेपी की सदस्यता ली थी.  इसके अलावा अभी कुछ ही दिनों के पहले की बात है जब दार्जिलिंग नगर निगम के 30 में से 17 पार्षद भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया था कि जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में 7 चरणों में चुनाव हुए उसी तरीके से यहां 7 चरणों में लोगों को पार्टी में शामिल करवाएंगे. विजयवर्गीय के अनुसार ये सभी विधायक ममता की तानाशाही से तंग आकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. 

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लोकसभा चुनाव के बाद से पश्चिम बंगाल में कई विधायकों सहित 50 से ज्यादा पार्षद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं. 2016 में पश्चिम बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटों पर जीत मिली थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को महज तीन सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद बीजेपी पश्चिम बंगाल में लगातार मजबूत होते हुए राज्य में सत्ताधारी पार्टी टीएमसी की प्रमुख प्रतिद्वंदी बन गई है.