उत्तर प्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज में तीन मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट-कम-जूनियर साइंटिस्ट कई आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्टो में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में फंस गए हैं। अब तक ऐसी 15 रिपोर्टे मिल चुकी हैं।
जूनियर वैज्ञानिकों में जालौन के उरई के सरकारी मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी लैब में तदर्थ आधार पर कार्यरत दो महिलाएं भी शामिल हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी. नाथ ने कहा कि नियमित निरीक्षण के दौरान पाया गया कि जहां बाकी जगहों पर मामले घट रहे हैं, वहीं जालौन में मामले बढ़ रहे हैं।
जब इस मामले पर जालौन की जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन के साथ चर्चा की गई तो तय हुआ कि रिपोर्ट को क्रॉस चेक किया जाए।
फिर सभी सैंपल एक साथ झांसी मेडिकल कॉलेज, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ भेजे गए, जहां सैंपल नेगेटिव निकले।
प्रशासन ने उचित विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि तीनों वैज्ञानिकों ने मामले को छुपाने के लिए सभी को गुमराह करने के प्रयास में झूठे दावों के साथ स्थानीय मीडिया का रुख किया।
डॉ. नाथ ने कहा, माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रमुख डॉ. गोपाल द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर और जालौन के जिला मजिस्ट्रेट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से परामर्श के बाद मैंने अपने वरिष्ठों को कड़ी कार्रवाई की सिफारिश करते हुए विवरण भेजा है। इस बीच, हम यहां कॉलेज स्तर पर विभागीय कार्रवाई शुरू कर रहे हैं।
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Source : IANS