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मैसूर कोर्ट विस्फोट मामले में अलकायदा के तीन आतंकियों को सजा 

बेंगलुरु में एनआईए की विशेष अदालत ने 2016 के मैसूर कोर्ट विस्फोट मामले में अल कायदा-बेस मूवमेंट के तीन दोषियों को कारावास की सजा सुनाई है.

Updated on: 11 Oct 2021, 09:07 PM

highlights

  • NIA की विशेष अदालत ने यह सजा सुनाई
  • मैसूर कोर्ट ब्लास्ट केस में तीनों को दोषी ठहराया गया था
  • अदालत परिसर में वर्ष 2016 को हुआ था बम विस्फोट 

बेंगलुरु:

बेंगलुरु में एनआईए की विशेष अदालत ने 2016 के मैसूर कोर्ट विस्फोट मामले में अल कायदा-बेस मूवमेंट के तीन दोषियों को कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने इन तीनों दोषियों को मैसूर कोर्ट ब्लास्ट केस में 8 अक्टूबर को दोषी ठहराए थे. नैनार अब्बास अली को सात साल का सश्रम कारावास, तीन साल का साधारण कारावास (कुल 10 साल) और  43,000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा. वहीं सैमसन करीम राजा को पांच साल के लिए साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही 25,000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा. वहीं एक अन्य दोषी सुलेमान को सात साल का कठोर कारावास और तीन साल का साधारण कारावास की सजा सुनाई गई है. यानी सुलेमान को 10 साल की सजा भुगतनी होगी. 

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उपरोक्त सभी अपराधों के संबंध में पर्याप्त सजाएं साथ-साथ चलेंगी. मैसूर शहर के चामराजपुरम में एक अदालत परिसर के एक सार्वजनिक शौचालय में एक अगस्त 2016 को हुए बम विस्फोट हुआ था. आरोपी-नैनार अब्बास अली उर्फ ​​लाइब्रेरी अब्बास, एम सैमसन करीम राजा उर्फ ​​करीम उर्फ ​​अब्दुल करीम और दाऊद सुलेमान तमिलनाडु के रहने वाले हैं. अदालत ने तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया था. एनआईए के अनुसार, मैसूर कोर्ट में बम विस्फोट बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पांच विस्फोटों में से एक है. एनआईए ने 24 मई, 2017 को तीनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी और मामले की सुनवाई 29 सितंबर, 2021 को समाप्त हुई थी.