भारत में ऐसे काम करती हैं अलग-अलग अदालत, जानें कैसे तय होती है कोर्ट की भूमिका

भारत में कोर्ट सिस्टम, न्यायिक नेतृत्व में विविधता और आपसी न्याय प्रणालियों के साथ, एक विस्तृत और सुचना-योग्य तंत्र है. यहां, हम भारत में कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक स्थलों का अध्ययन करेंगे, जिनका अपना विशेष महत्व और कार्यक्षेत्र है

भारत में कोर्ट सिस्टम, न्यायिक नेतृत्व में विविधता और आपसी न्याय प्रणालियों के साथ, एक विस्तृत और सुचना-योग्य तंत्र है. यहां, हम भारत में कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक स्थलों का अध्ययन करेंगे, जिनका अपना विशेष महत्व और कार्यक्षेत्र है

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Mohit Sharma
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Court system in india

Court system in india( Photo Credit : File Pic)

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. लोकतंत्र का अर्थ जनता का जनता द्वारा जनता के लिए शासन है. देश में स्थापति लोकतंत्र के चार स्तंभ माने जाते हैं ( विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया ) यूं तो लोकतंत्र के इन चारों ही स्तंभों की अपनी-अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है और एक के बिना दूसरे का अस्तित्व प्रभावित होता है. लेकिन न्यायपालिका लोकतंत्र का एक ऐसा मजबूत स्तंभ है, जिस पर पूरे देश का विश्वास टिका होता है. हमारे यहां न्यायाधीश को भगवान से कम नहीं समझा जाता. न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और जिला न्यायालयों समेत तमाम प्रकार की कोर्ट के माध्यम से अपना फैसला सुनाते हैं.  भारत में कोर्ट सिस्टम, न्यायिक नेतृत्व में विविधता और आपसी न्याय प्रणालियों के साथ, एक विस्तृत और सुचना-योग्य तंत्र है. यहां, हम भारत में कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक स्थलों का अध्ययन करेंगे, जिनका अपना विशेष महत्व और कार्यक्षेत्र है.

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1. सुप्रीम कोर्ट
स्थान: नई दिल्ली
महत्व: सुप्रीम कोर्ट, भारत का सर्वोच्च न्यायिक अदालत है और यह राष्ट्रीय और अंतर-राज्यीय मामलों में अपील के लिए अंतिम न्यायिक अदालत के रूप में कार्य करता है.
2. हाईकोर्ट
स्थान: विभिन्न राज्यों की राजधानियों
महत्व: हर राज्य में एक हाईकोर्ट होता है जो राज्य स्तर पर न्यायिक निर्णय लेता है और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपील कर सकता है।
3. जिला न्यायालय
स्थान: विभिन्न जिलों में
महत्व: जिला न्यायालय न्यायपालिका के स्तर पर कार्य करता है और वहां स्थानीय मामलों में न्यायिक निर्णय देता है.
4. उच्चतम न्यायालय
स्थान: राज्यों में
महत्व: उच्चतम न्यायालय राज्यों में सबसे ऊपरी न्यायिक प्राधिकृति है और यह राज्यीय सरकार के खिलाफ या उसके साथ विवादों में न्यायिक निर्णय देता है.
5. ट्राइब्यूनल्स
स्थान: विभिन्न क्षेत्रों में
महत्व: विभिन्न ट्राइब्यूनल्स, जैसे कि इंकम टैक्स एपीलेट ट्राइब्यूनल और न्यूज़ ट्राइब्यूनल, विशेष विवादों के लिए न्यायिक स्थान हैं.
6. लोकायुक्त
स्थान: विभिन्न राज्यों में
महत्व: लोकायुक्त संगठन, भ्रष्टाचार और अनैतिकता के मामलों में जाँच और न्याय करने के लिए स्थापित किए गए हैं.
7. कंस्यूमर कोर्ट
स्थान: विभिन्न राज्यों में
महत्व: कंस्यूमर कोर्ट उपभोक्ताओं के हक की रक्षा करता है और उनके खिलाफ अनैतिक व्यापार या सेवाओं के मामलों में सुनवाई करता है.

भारत में कोर्ट सिस्टम न्यायिक प्रणालियों की विविधता के साथ कार्य करता है और इसमें सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला न्यायालय तक विभिन्न स्तरों की न्यायिक एड़ीयां शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि न्याय लाभकर और समर्थ हो, जिससे समाज में न्याय की भावना को मजबूती मिलती है।

Source : News Nation Bureau

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