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इन 5 कारणों से भारत में फिर से फन उठा रहा कोरोना वायरस

कोरोना वायरस का ग्राफ एक बार फिर ऊपर की ओर जाता दिख रहा है. पिछले दो दिनों से कोरोना वायरस के 18,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं.

Updated on: 07 Mar 2021, 10:04 AM

highlights

  • देश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण फन उठा रहा
  • कोरोना वायरस का ग्राफ एक बार फिर ऊपर की ओर
  • प्रति सौ लोगों में मात्र एक को भारत टीका लगा रहा

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर बरती जा रही लापरवाही अब भारी पड़ती दिख रही है. देश में एक बार फिर कोरोना फन उठाकर खड़ा हो गया है. कोरोना वायरस का ग्राफ एक बार फिर ऊपर की ओर जाता दिख रहा है. पिछले दो दिनों से कोरोना वायरस के 18,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. साथ ही रोजाना होने वाली मौतों की संख्या भी 100 के पार जाने लगी है. जानकारों का मानना है कि जांच में कमी, नया स्ट्रेन व टीकाकरण में देरी जैसे कुछ कारणों की वजह से काबू में आ चुकी कोविड-19 (COVID-19) महामारी अब फिर से बेकाबू होने की स्‍थिति में जाती दिख रही है. कोरोना वायरस संक्रमण को तत्‍काल नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं होगा, जब लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्‍किल हो गया था.

आधी रह गई रोजाना की कोरोना जांच
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के डाटा के मुताबिक, दिसंबर 2020 में देश में रोजाना दस लाख से अधिक नमूनों की कोरोना जांच की जा रही थी पर फरवरी में हर दिन छह से आठ लाख नमूनों की ही जांच की जा रही है. बीते 24 घंटों में देश में 8,31,807 नमूनों की जांच हुई है और अब तक कुल 21,46,61,465 नमूनों की जांच की गई है.

पॉजिटिविटी दर में वृद्धि
रोजाना कोरोना की जांच दर घटने के बाद भी नमूनों के पॉजिटिव होने की दर 5% से अधिक बनी हुई है. इसका मतलब यह हुआ कि जांच जरूरत से कहीं कम की जा रही है. देश में पिछले महीने टेस्ट पॉजिटिविटी दर 6% थी जो इस महीने 5 प्रतिशत से अधिक है. WHO मानता है कि किसी भी देश की जांच पॉजिटिविटी दर लगातार दो सप्ताह तक 5% या इससे कम होनी चाहिए, तभी संक्रमण को कंट्रोल किया जा सकता है.

कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन
ब्रिटेन में पहचाने गए कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन के भारत में 180 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पहचाने गए कोरोना के दूसरे स्‍ट्रेन के भी कई मामले भारत में आ चुके हैं. भारत में हाल ही में कोरोना एक अन्‍य स्‍ट्रेन की भी पुष्‍टि हुई है. जानकारों का कहना है कि संक्रमण के चरम से देश के उबर जाने का मतलब यह नहीं है कि भारत दूसरी संभावित लहर से सुरक्षित है.

लोगों की लापरवाही
जानकारों का कहना है कि दिसंबर-जनवरी में भारत में कोरोना संक्रमण के मामले घटे, जिसके बाद लोग संक्रमण को लेकर लापरवाह हो गए और जांच भी कम हो गई. इससे महाराष्ट्र समेत पांच राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ गए. जानकारों का मानना है कि भारत में संक्रमण घटने के पीछे अहम कारण बहुत बड़ी आबादी के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाना रहा होगा. इस तथ्य के आधार पर जानकारों का मानना है कि भारतीयों को संक्रमण घटने के आंकड़ों को लेकर उत्‍साहित नहीं होना चाहिए. यह भी हो सकता है कि कई लोगों में बिना लक्षण वाला कोरोना संक्रमण हो. इसलिए कोरोना को लेकर अभी लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए.

जनसंख्या बनाम टीकाकरण
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा संचालित आवर वर्ल्ड इन डाटा की रिपोर्ट कहती है, प्रति सौ लोगों में मात्र एक को भारत टीका लगा रहा है, जबकि ब्रिटेन में हर 100 लोगों पर 27 और अमेरिका 19 लोगों को टीका लगा रहा है. भारत में जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें वह काफी पीछे है. भारत में कुल 1,34,72,643 लोगों को टीका लगाया गया है, जबकि मार्च तक 3 करोड़ को टीका लगाया जाना है. एक मार्च से देश में 50 साल से अधिक आयु के 27 करोड़ बुजुर्ग व गंभीर मरीजों को टीका लगाया जाना तय किया गया है. आंकड़े बताते हैं कि वैक्‍सीनेशन के हर सेशन में लक्ष्य के मुकाबले 35% ही टीके लगाए गए.