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इन तीन चुनौतियों से निपटे बिना राहुल के लिए मुश्किल होगी डगर

राहुल गांधी को निर्विरोध रूप से कांग्रेस का प्रेसिडेंट चुन लिया गया है। राहुल नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के सदस्य है, जिन्हें पार्टी की कमान मिली है।

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Abhishek Parashar
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इन तीन चुनौतियों से निपटे बिना राहुल के लिए मुश्किल होगी डगर

कांग्रेस के प्रेसिडेंट बने राहुल गांधी (पीटीआई)

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राहुल गांधी को निर्विरोध रूप से कांग्रेस का प्रेसिडेंट चुन लिया गया है। राहुल नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के सदस्य है, जिन्हें पार्टी की कमान मिली है।

इससे पहले पार्टी की कमान उनकी मां सोनिया गांधी के हाथों में थी। राहुल के पहले मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी पार्टी के प्रेसिडेंट रह चुके हैं।

पार्टी में सबसे लंबे समय तक प्रेसिडेंट बने रहने का रिकॉर्ड सोनिया गांधी के नाम है। सोनिया 1998 में पार्टी का प्रेसिडेंट चुनी गई थीं।

राहुल ने वैसे समय में पार्टी की कमान संभाली हैं, जब कांग्रेस कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही हैं और जिनसे निपटना उनकी प्राथमिकता में शुमार होगा।

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2014 के आम चुनाव में मिली ऐतिहासिक हार के बाद पार्टी के सामने सबसे बड़ी तात्कालिक चुनौती राज्य विधानसभा के चुनावों में दमदार वापसी करने की है।

पिछले आम चुनाव के बाद पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। इसके बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में राहुल गांधी ने पूरी ताकत झोंक रखी है, जिसके नतीजे आना अभी बाकी है।

हालांकि इसके अलावा उनके सामने 3 अहम चुनौतियां होंगी, जिनसे तात्कालिक तौर पर निपटना होगा।

1.संगठन को मजबूत करना

राहुल के सामने बड़ी चुनौती संगठन को मजबूत करने की है। पिछले एक दशक से अधिक समय के दौरान सोनिया गांधी भी संगठन को मजबूत करने की दिशा में कुछ खास नहीं कर पाई।

संगठन को दुरुस्त करने की अब पूरी जिम्मेदारी राहुल गांधी पर होगी, जिसे मजबूती से खड़ा किए बिना कांग्रेस के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निपटने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

बीजेपी के पास जहां युवा नेताओं की फौज है वहीं उसे संघ की तरफ से मजबूत सांगठनिक ताकत मिलती रही है।  पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में पार्टी को संगठन की कमजोरियों की वजह से नकुसान भी उठाना पड़ा है। विशेषकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में।

समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन करने के बावजूद कमजोर संगठन के कारण कांग्रेस को चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई।

2.दूसरी पीढ़ी के नेताओं को तैयार करना

पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती दूसरे क्रम के नेताओं की मौजूदगी का नहीं होना है। जब जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद जैसे दिग्गज नेता कांग्रेस की पहचान हुआ करते थे तब दूसरे क्रम में मोरारजी देसाई, संजीव रेड्डी और वाई बी चव्हाण जैसे धाकड़ नेता मौजूद थे।

हालांकि इंदिरा गांधी ने अपने शासनकाल में कांग्रेस की इस मजबूती को पूरी तरह से खत्म कर दिया, जिसका नुकसान कांग्रेस को आने वाले दशकों में उठाना पड़ा।

सोनिया गांधी के कार्यकाल में भी कांग्रेस में दूसरे क्रम के नेताओं को बढ़ावा नहीं दिया गया, जिसकी वजह से कांग्रेस में एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी के नेताओं के बीच सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया कठिन बनी रही।

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हालांकि राहुल गांधी ने जिस तरह से पार्टी और संगठन में युवा नेताओं मसलन ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, दीपेंदर हुडा, को आगे बढ़ाया है, उसे देखकर यह उम्मीद बनती है, वह कांग्रेस की इस पुरानी परंपरा को फिर से बहाल करने में सफल होंगे।

3.नए मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश

भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों के उदय और उनके मजबूत होने का सबसे बुरा खमियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा। देश में क्षेत्रीय पार्टियों का उदय कांग्रेस के वोट बैंक के बिखराव की कीमत पर हुआ।

कांग्रेस ने अपने वोट बैंक में लगी सेंध को दुरुस्त करने की बजाए इसकी भरपाई का तात्कालिक रास्ता चुनते हुए उन क्षेत्रीय दलों से हाथ मिलाकर गठबंधन सरकार का निर्माण किया।

राहुल के आने के बाद पार्टी के सामने बड़ी चुनौती न केवल अपने परंपरागत वोटबैंक को बनाए रखने की होगी बल्कि कांग्रेस के साथ नए युवा मतदाताओं को जोड़ना भी उतना ही जरूरी होगा।

कांग्रेस एक समय ब्राह्मण, दलित, मुस्लिम और ओबीसी की पसंदीदा पार्टी हुआ करती थी, लेकिन आज उसका वोट बैंक पूरी तरह से बिखरा हुआ है। राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नई सोशल इंजीनियरिंग की होगी, जिससे वह पार्टी के परंपरागत वोट बैंक को फिर से पार्टी की पकड़ में ला सकें।

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HIGHLIGHTS

  • राहुल गांधी नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के सदस्य है, जिन्हें कांग्रेस की कमान मिली है
  • पार्टी प्रेसिडेंट बनने के बाद तात्कालिक तौर पर राहुल गांधी को तीन अहम चुनौतियों से निपटना होगा

Source : Abhishek Parashar

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