PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन पर उद्धव ठाकरे द्वारा इमरजेंसी ब्रेक लगाने के ये हैं 7 प्रमुख कारण
14 सितंबर 2017 को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए थे और इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की स्थापना की गई थी
नई दिल्ली:
PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन पर शिवसेना ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी है. हालांकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मामले में कहा है कि हम बदले की भावना से काम नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम इस प्रोजेक्ट की समीझा करेंगे. इसके बाद ही अंतिम निर्णय पर पहुंच पाएंगे. उद्धव ठाकरे ने इस प्रोजेक्ट पर ब्रेक लगाने के कई कारण बताए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए किसान की समस्या इंपोर्टेंट है ना कि बुलेट ट्रेन. 2017 में जब इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ हुआ था. इसके बाद से सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन जैसे ही महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ, इसके साथ ही वहां की तस्वीरें भी बदल गईं. बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई है. अब राज्य में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार है.
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14 सितंबर 2017 को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत आए थे और इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी. मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की स्थापना की गई थी. यह बहुत ही मैसिव प्रोजेक्ट था. इसके लिए कुल 1.1 लाख करोड़ रुपये खर्च होने थे. जापान ने भारत के सामने जो शर्त रखी थी, वो बहुत ही फेवरेवल था. इसके लिए जापान ने 88.081 करोड़ रुपये देने वाले थे. सिर्फ 0.1 प्रतिशत की मामूली ब्याज दर पर. जो भारत को 50 साल तक चुकाने थे. जापान का यह कदम इंडो-जापान रिलेशन को एक नई दिशा दी थी. वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए 5 हजार करोड़ रुपये महाराष्ट्र सरकार को देने थे. लेकिन अब वहां की सरकार देने से मना कर रही है.
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लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता बदलने के बाद वहां की स्थिति भी बदल गई. जब इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया था तो राज्य में बीजेपी की सरकार थी. अब बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई है. शिवसेना की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि इसको रोकने के लिए कई प्रमुख कारण हैं जिसके तहत इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाई जा सकती है. ये है प्रमुख कारण
1. बुलेट ट्रेन काम का नहीं है- शिवसेना
शिवसेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बुलेट ट्रेन भारत के लिए काम का नहीं है. इसमें काफी खर्चा आ रहा है. इतने पैसे से हम मूलभूत समस्याएं को सुधार सकते हैं. भारतीय ट्रेन की स्थिति बेहतर हो सकती है. इसका किराया भी काफी अधिक होगा. जो आमलोगों के पहुंच से काफी दूर होगा.
2. हमारे लिए किसान इंपोर्टेंट है ना कि बुलेट ट्रेन - शिवसेना
शिवसेना ने कहा कि राज्य में किसान की स्थिति ठीक नहीं है. किसान बेमौसमी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हैं. हमारे किसान काफी गरीब हैं. उसकी स्थिति हमें सुधारनी है. ना कि 5 हजार करोड़ रुपये बुलेट ट्रेन पर खर्च करने हैं. इतने पैसे से हम किसानों के लिए कई राहतभरी योजनाएं ला सकते हैं.
3. भूमि अधिग्रहण
बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए सबसे बड़ा सवाल लैंड एक्वायर्ड का है. किसान जमीन देने से मना कर रहे हैं. वहीं शिवसेना ने कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं. किसान जो करना चाहते हैं, वहीं करेंगे. किसान के खिलाफ कोई भी फैसला नहीं लिया जाएगा.
4. इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है
शिवसेना के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर खराब है. हम इस पैसे से अपना इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करेंगे. ना कि बुलेट ट्रेन पर इतना बड़ा अमाउंट खर्च करेंगे.
5. लोकल ट्रेन की स्थिति ठीक नहीं है
शिवसेना और एनसीपी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुंबई में लोकल की स्थिति ठीक नहीं है. लोगों को काफी भीड़ में सफर करना पड़ रहा है. भीड़ के चलते काफी एक्सीडेंट भी होते हैं. इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. पहले हम लोकल की स्थिति ठीक करेंगे.
6. सड़क ज्यादा इंपोर्टेंट है
शिवसेना ने कहा कि हम आम जनता से जुड़ना चाहते हैं. उनके लिए पहले सड़क को दुरुस्त करूंगा. लोगों की पहली जरूरत सड़क है. हम इसके लिए पहले काम करेंगे.
7. मेरे पास इतने पैसे नहीं, केंद्र सरकार दें बाकी खर्चा - शिवसेना
उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है. अगर केंद्र सरकार बाकी के पैसे दे रहे हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन केंद्र सरकार के लिए भी यह संभव नहीं है. केंद्र सरकार लगातार डिफेंस पर खर्च कर रही है. कॉरपोरेट टैक्स कम कर देने से पैसे भी कम आ रही है. इस वजह से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक सकती है.
अगर शिवसेना बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर रोक लगाती है तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बुरा होगा. जो इंवेस्टर भारत में इंवेस्ट करने की सोच रहे हैं वो काफी डर जाएंगे. उनका मानना है कि इंडिया में सबकुछ ठीक चलता है, लेकिन जैसे ही सरकार का परिवर्तन होता है वहां की तस्वीरें भी बदल जाती है. सारा खेल चुनाव के बाद बिगड़ जाता है. यहां पॉलीटिकल स्टैबलिटी नहीं है.
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