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सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक नहीं, ये भी हैं देश के पहले CDS बिपिन रावत की उपलब्धियां

बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला था. भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला. 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे.

Updated on: 31 Dec 2019, 10:51 AM

नई दिल्ली:

जनरल बिपिन रावत आज रिटायर हो रहे हैं. बुधवार को वह देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनेंगे. जनरल रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में वे उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए. जनरल बिपिन रावत ने पीएचडी, एमिफल और प्रबंधन व कंप्यूटर शिक्षा में डिप्लोमा किया है. उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अतिविशिष्ठ सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल आदि से भी नवाजा जा चुका है. 

बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला था. भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला. 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे. राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की. कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया. 01 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी.

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देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने जनरल बिपिन रावत के लिए स्कूल के दिनों में मिली मानवीय सीखों का बड़ा महत्व है. इन सीखों को वे आज भी नहीं भूले हैं. फरवरी 2018 में जनरल रावत ने एक मुलाकात के दौरान स्कूली बच्चों को कहा था कि कभी ऐसे किसी व्यक्ति की क्षमता को कम नहीं आंकना, जो अपने जीवन में विफल हुआ हो. क्योंकि जब ऐसे लोग अपनी कड़ी मेहनत से सफल होते हैं तो सबसे आगे निकल जाते हैं.

जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया. 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव है. अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए सेना प्रमुख बनाया था.

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पीओके में 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था. हमले में कई आतंकी भी मारे गए थे. उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद सेना ने यह कार्रवाई की थी.

म्यांमार में जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे.

तीन साल रहेंगे - सीडीएस 16 मार्च 1958 को जन्मे जनरल रावत अभी 61 साल के हैं. 2023 में वे 65 साल के हो जाएंगे. ऐसे में वे करीब तीन साल तक सीडीएस पद पर रहेंगे. सरकार ने सीडीएस की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल कर दी है.

जनरल बिपिन रावत की 10 उपलब्धियां

1. म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ सफल सर्जिकल स्ट्राइक
2. म्यंमार सर्जिकल स्ट्राइक वाली टीम को बिपिन रावत ने लीड किया
3. सितंबर 2016 में PoK सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाई
4. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन आल आऊट
5. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका
6. आतंकी बुरहान वानी समेत हिज्बुल, लश्कर, जैश के टॉप कमांडर ढेर
7. आर्टिकल 370 के बाद जम्मू कश्मीर के हालात को काबू किया
8. सीमापार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगाई
9. सीज़फायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया
10. पाकिस्तान को सख्त लहजे में जवाब देने में मुखर रहे बिपिन रावत

CDS के सामने ये होंगी दस बड़ी जिम्मेदारियां

1. चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) के चेयरमैन भी रहेंगे
2. रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार के रूप में काम करना होगा
3. परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार भी होंगे
4. तीनों सेनाओं के प्रशासनिक कार्यों के साथ इनसे जुड़ी एजेंसियों, संगठनों तथा साइबर और स्पेस से संबंधित कार्यों की कमान भी होगी
5. रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद और एनएसए की अध्यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति के सदस्य भी होंगे
6. तीनों सेवाओं के परिचालन, लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण, सहायक सेवाओं, संचार, मरम्मत एवं रखरखाव में समन्वय सुनिश्चित करना होगा
7. अवसंरचना का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के साथ तीनों सेवाओं के बीच समग्रता के जरिए तर्कसंगत बनाने की जिम्मेदारी
8. एकीकृत क्षमता विकास योजना के बाद पंचवर्षीय रक्षा पूंजीगत सामान अधिग्रहण योजना और दो वर्षीय सतत वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं को कार्यान्वित करना होगा
9. अनुमानित बजट के आधार पर पूंजीगत सामान खरीद के प्रस्तारवों को अंतर-सेवा प्राथमिकता देंगे
10. अनावश्यक खर्च में कमी करके सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए तीनों सेवाओं के कामकाज में सुधारों को लागू करेंगे.