New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2017/02/07/42-KailashSatyarthiaccepttheirNobelPeace.jpg)
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी साथ में मलाला युसुफजई
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
चोरी बीती रात अकलनंदा अपार्टमेंट में सत्यार्थी के घर पर हुई। चोरों ने घर का ताला तोड़कर गहने और दूसरा महंगे सामान भी ले गए।
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी साथ में मलाला युसुफजई
बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के घर में चोरों ने घुसकर उनका नोबेल प्रशस्ति पत्र और कुछ अन्य सामान चुरा लिया। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। चोरी की घटना सोमवार रात दक्षिणी दिल्ली के अलकनंदा में हुई। सत्यार्थी और उनकी पत्नी फिलहाल नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं।
पुलिस उपायुक्त रोमिल बानिया ने कहा, 'चोर एक खिड़की और वेंटिलेटर को तोड़कर घर में घुसे। चोरी हुए वस्तुओं का सत्यापन किया जा रहा है। चोरी हुए सामानों में नोबेल प्रशस्ति पत्र भी है।'
पुलिस सत्यार्थी के अपार्टमेंट की सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के साथ पड़ोसियों के अपार्टमेंट की सीसीटीवी फुटेज की भी जांच कर रही है। मंगलवार सुबह चोरी होने का पता चला और सत्यार्थी के बेटे भुवन रिभु ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
सत्यार्थी के फाउंडेशन के एक प्रवक्ता के अनुसार, चोर आभूषण, नकदी और इलेक्ट्रानिक सामान भी चुरा ले गए हैं। सत्यार्थी को 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला थाष वह बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक हैं। यह संगठन बाल श्रम का उन्मूलन करने और बचाए गए पूर्व बाल श्रमिकों के पुनर्वास के प्रति समर्पित है।
यह भारत में नोबेल प्रशस्ति पत्र की चोरी की दूसरी घटना है। देश के पहले नोबेल विजेता रबींद्रनाथ टैगोर का पदक अन्य 47 यादगार वस्तुओं के साथ पश्चिम बंगाल स्थित शांति निकेतन के रबींद्र भवन से चोरी हो गया था।
चोरी की इस घटना का 25 मार्च 2004 को खुलासा हुआ था। जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो के सौंपा गया, लेकिन मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है।
सत्यार्थी को 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें यह पुरस्कार पाकिस्तान की मलाला युसुफजई के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था। सत्यार्थी बाल मजदूरों को मुक्त कराने के लिए एनजीओ चलाते हैं।
इसे भी पढ़ेंः सत्यार्थी ने कहा नशाखोरी पर अदालत का फैसला ऐतिहासिक, बच्चों को मिलेगा सुरक्षित माहौल
सत्यार्थी पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं लेकिन 26 साल की ही उम्र में करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया था।
HIGHLIGHTS
Source : News Nation Bureau