कोविड वैक्सीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आलोचना झेलने के लिए हमारे कंधे हैें चौड़े
कोविड वैक्सीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आलोचना झेलने के लिए हमारे कंधे हैें चौड़े
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वैक्सीन से एक डाक्टर की मौत और गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं के बारे में कोविन पोर्टल पर जानकारी से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि हमारे कंधे जिम्मेदारी लेने के तैयार है और हम संविधान के अनुरूप अपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक वकील की इस बात को लेकर आलोचना की जिन्होंने दावा किया कि शीर्ष अदालत केवल वैक्सीन समर्थक लोगों की सुनवाई कर रही है और वैक्सीन सिंडिकेट का पदार्फाश करने वालों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए अनुसंधान, जागरूकता और प्राथमिकता के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले वकील नीलेश ओझा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके सुझावों को आदेश में शामिल नहीं किया गया है।
पीठ जब मामले की सुनवाई कर रही थी तो ओझा ने कहा: मेरे सुझाव आदेश का हिस्सा क्यों नहीं हैं? उन्होंने कहा कि वह एक डॉक्टर को जानते हैं जिनकी मौत कोविशील्ड लेने के बाद हुई है और ऐसे मामलों में सूचना दिए जाने के बाद सहमति पर जोर दिए जाने की पैरवी की गई थी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इन तर्क का विरोध करते हुए कहा: वह क्या कह रहे हैं? इस तरह के बयान के आधार के लिए तथ्य क्या है?
इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ओझा से कहा आप एक हस्तक्षेपकर्ता हैं, आपको अदालत की सहायता करनी है। लेकिन ओझा ने दोहराया कि अदालत ने उनके किसी भी सुझाव को दर्ज नहीं किया है और वह भी देश के नागरिक हैं
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा: एक नागरिक के रूप में आपका अधिकार है लेकिन एक मध्यस्थ के रूप में, आपका अधिकार बहुत सीमित है. एक मध्यस्थ के रूप में, आप केवल याचिका पर प्रकाश डाल सकते हैं, लेकिन स्वतंत्र राहत का दावा नहीं कर सकते।
इस दौरान ओझा ने कहा कि ऐसे परि²श्य में जहां पक्षकार अदालत को गुमराह कर रहे हैं, वह एक सुझाव दे रहे हैं। लेकिन यह अदालत मेरे सुझाव पर विचार क्यों नहीं कर रही है। इस पर पीठ ने बेंच ने कहा, हमें आपसे सर्टिफिकेट नहीं चाहिए..
न्यायमूर्ति खन्ना ने ओझा से कहा कि अदालत दूसरे मामले में उनके सुझाव की जांच करेगी,तो उन्होंने पूछा कि शीर्ष अदालत उन लोगों को क्यों नहीं सुनती जो वैक्सीन सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हैं और जिनका प्रभाव आम आदमी पर पड़ रहा है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ओझा से कहा कि आलोचना को लेने के लिए अदालत के कंधे बहुत चौड़े हैं, जिसमें उनकी आलोचना भी शामिल है। हम अपनी क्षमता के अनुसार अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। हम यहां संविधान के तहत अपनी शपथ का पालन करने के लिए हैं।
पीठ ने मामले की सुनवाई का समापन करते हुए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पहचान की अनुमति देने वाले कोविन पोर्टल में सॉफ्टवेयर समायोजन करने के सुझावों पर विचार करने का मामला केंद्र सरकार के लिए छोड़ दिया।
आईएएनएस
जेके
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह