सुप्रीम कोर्ट ने आईएसआईएस के हमदर्द की जमानत याचिका रद्द की, कहा-आरोप काफी गंभीर

सुप्रीम कोर्ट ने आईएसआईएस के हमदर्द की जमानत याचिका रद्द की, कहा-आरोप काफी गंभीर

सुप्रीम कोर्ट ने आईएसआईएस के हमदर्द की जमानत याचिका रद्द की, कहा-आरोप काफी गंभीर

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसे कथित तौर पर फंड इकट्ठा करने और अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए लोगों की भर्ती करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता उबेद मिर्जा के वकील से कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे से कहा, आपके खिलाफ सबूत हैं। इस स्तर पर हमारे पास उन सबूतों को खारिज करने का कोई कारण नहीं है। आप आईएसआईएस के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।

पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता की व्हाट्सएप चैट अन्य धर्मो के लोगों की हत्या से संबंधित है।

दवे ने तर्क दिया कि सूरत में वकालत कर रहे उनके मुवक्किल को 2017 में गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद बिना किसी आरोप के चार साल के लिए जेल में रखा गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उनके मुवक्किल के मौलिक अधिकारों का घोर हनन है।

वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि वह पैसे खातिर आईएसआईएस के लिए कुछ लोगों की भर्ती कर रहे थे। आगे यह तर्क दिया गया कि फेसबुक पोस्ट और व्हाट्सएप चैट के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम लागू किया गया है। दवे ने कहा कि उनसे एक पैसा भी बरामद नहीं हुआ है और उनके मुवक्किल ने कभी सीरिया की यात्रा नहीं की।

हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रही है कि जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि यूएपीए लागू किया गया है, लेकिन आरोपों की प्रकृति बहुत गंभीर है।

शीर्ष अदालत ने गुजरात एटीएस का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मुकदमे में देरी का कारण पूछा। मेहता ने कहा कि यह आरोपी या सह-अभियुक्त द्वारा निचली अदालत द्वारा पारित हर आदेश को चुनौती देने के कारण हो सकता है।

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने आरोपी की ओर से वकील फारुख रशीद की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, हम जमानत देने के इच्छुक नहीं हैं। हम निचली अदालत को एक साल में सुनवाई पूरी करने का निर्देश देते हैं।

आरोपी को 25 अक्टूबर, 2017 को गिरफ्तार किया गया था। उसे कथित तौर पर सोशल मीडिया पर आईएसआईएस की विचारधारा की वकालत करते हुए या एक अन्य आरोपी कासिम के साथ सोशल मीडिया लिंक साझा करते हुए पाया गया था। वह कथित तौर पर अहमदाबाद के एक आराधनालय में लोन वुल्फ अटैक करने की योजना बना रहा था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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