अगले महीने से 3 चरणों में होगी चुनावी बांड की बिक्री

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अगले महीने से तीन चरणों में चुनावी बांड की बिक्री की घोषणा की.

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kunal kaushal
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अगले महीने से 3 चरणों में होगी चुनावी बांड की बिक्री

अरुण जेटली (फाइल फोटो)

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को अगले महीने से तीन चरणों में चुनावी बांड की बिक्री की घोषणा की. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को मार्च, अप्रैल और मई में चुनावी बांड की बिक्री के लिए अधिकृत किया गया है. बयान में मंत्रालय ने कहा, "एसबीआई को उसकी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए मार्च, अप्रैल और मई में चुनावी बांड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है." चुनावी बांड की बिक्री 1-15 मार्च, 1-20 अप्रैल और 6-15 मई के दौरान होगी.

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चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की वित्तपोषण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिये चुनावी बांड जारी करने की केन्द्र सरकार की पहल को सही कदम बताया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोती ने हालांकि यह भी कहा कि दान पर आधारित राजनीतिक दलों की वित्तपोषण प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने का मकसद सिर्फ चुनावी बांड से पूरा नहीं होगा. बता दें कि कुछ महीने पहले आयोग चुनावी बांड को दोयम दर्जे की कवायद करार दे चुका है.

त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के आगामी विधानसभा चुनाव में दानदाताओं द्वारा राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के जरिये चंदा दे सकने के सवाल पर जोती ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने इस तरह के बांड के इस्तेमाल को अधिसूचित कर दिया है इसलिये ‘बेशक’ इन चुनावों में इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा.

तीनों राज्यों में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने के बाद जोती ने कहा 'हमें उम्मीद है कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम साबित होगा.'चुनावी बांड के मामले में आयोग के रुख में आये बदलाव के सवाल पर जोती ने कहा 'कोई बदलाव नहीं आया है.
उन्होंने कहा कि बांड के माध्यम से दिया गया दान बैंकिंग प्रक्रिया का हिस्सा होगा इसलिये यह सही दिशा में पहला कदम होगा. जोती ने कहा 'मैंने यह नहीं कहा कि इससे समस्या का समाधान हो जायेगा. इसे जारी होने दीजिये, इसके बाद ही इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे. उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में चुनाव आयोग ने चुनावी चंदे के मामले से संबद्ध संसदीय समिति के समक्ष इसे ‘दोयम दर्जे’ का कदम बताया था आयोग ने राजनीतिक दान में पारदर्शिता की समस्या के समाधान की दिशा में सरकार द्वारा सुझाये गये चुनावी बांड के विकल्प को बहुत कारगर नहीं बताया था.

Source : IANS

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