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नई पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि कितने संघर्ष के बाद आजादी मिली : नीतीश

नई पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि कितने संघर्ष के बाद आजादी मिली : नीतीश

Updated on: 12 Nov 2021, 12:00 AM

पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को यहां कहा कि नई पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि कितने संघर्ष के बाद आजादी मिली है। उन्होंने कहा कि पाठ्य पुस्तकों में ऐसी जानकारी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उस समय वे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जब देश दो हिस्सों में बंट गया तो काफी बुरा हाल था। बापू सहित अन्य सभी लोग जगह-जगह घूम रहे थे। उस समय अल्पसंख्यक समुदाय के लोग यहां से जा रहे थे तो मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब ने ही कहा था कि यह देश आपका है, यहां से क्यों जा रहे हैं। उसके बाद लोग रुक गये और स्थिति सामान्य हुई। उनका योगदान बहुत बड़ा है। भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने इस देश में काफी काम किया।

इससे पहले मुख्यमंत्री गुरुवार को भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन पर आयोजित शिक्षा दिवस समारोह का दीप प्रज्‍जवलित कर शुभारंभ किया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने डॉ. शंकर नाथ झा को मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने उन्हें पुरस्कार स्वरूप अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं ढाई लाख रुपए का चेक प्रदान किया।

शिक्षा दिवस समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों को बिहार की जनता ने जब काम करने का मौका दिया तो मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिन पर बिहार में शिक्षा दिवस का आयोजन करने का निर्णय लिया। यहां वर्ष 2007 में पहली बार शिक्षा दिवस का आयोजन किया गया।

बिहार में शिक्षा दिवस का आयोजन शुरू करने के बाद हमने राष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षा दिवस का आयोजन करने के लिए केंद्र सरकर को पत्र लिखा। केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया और वर्ष 2008 के 11 नवंबर से राष्ट्रीय स्तर पर भी शिक्षा दिवस का आयोजन प्रारंभ हो गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. झा के कामों को देखते हुए उन्हें मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के स्कूली बच्चों को मौलाना अबुल कलाम आजाद के किये गये काम और उनके जीवनी के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी भी उनके विषय में अवगत हो सके और यह जान सके कि कितनी संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली।

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