G 20 Summit: जी 20 समिट में आए मेहमान हुए भारतीय इतिहास से रूबरू, जानें भारत में क्या देखा

G 20 Summit 2023: भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन में आए मेहमानों ने नटराज से लेकर कोणार्क चक्र, नालंदा यूनिवर्सिटी और साबरमती आश्रम तक सारे भारतीय इतिहास के बारे में जाना.

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Inna Khosla
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The guest at G20 summit 2023 learned about Indian history konark chakra nalanda university sabarmati

G 20 Summit 2023( Photo Credit : Social Media)

G 20 Summit 2023: भारतीय इतिहास इतना समृद्ध है कि इस विषय पर जितनी बात की जाए कम होती है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 शिखर सम्मेलन (G 20 Summit) के द्वारा विश्वभर से आए लोगों को भारतीय इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश की. ओड़िशा के कोणार्क चक्र से लेकर नालंदा यूर्निवर्सिटी और साबरमती आश्रम तक सबके बारे में विदेशी मेहमानों ने जाना. पीएम मोदी खुद उन्हें इस इतिहास के बारे में बता रहे थे. जी 20 समिट में आए विदेशी मेहमानों ने इस शिखर सम्मेलन के दौरान भारत में क्या-क्या देखा आइए जानते हैं.

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नटराज का इतिहास 

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नटराज शिव का स्वरूप हैं. जी 20 समिट में नटराज की मूर्ति सभी मेहमानों का आकर्षण बनी हुई है. इस मूर्ति में भगवान शिव को तांडव नृत्य के अवतार में दिखाया गया है, जिसमें वह अपने एक पैर को ऊपर उठाया हुआ है, इसका अर्थ है पवित्र भावना से स्वागत करना. नटराज के पैर के नीचे एक दानी कोई सार्प (नाग) होता है, जिसका प्रतीकता शक्ति और आदिशक्ति को दर्शाता है. नटराज का इतिहास और प्राचीनता उसके पुजारी और शिव भक्तों के बीच महत्वपूर्ण है, और यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भक्ति स्तोत्र का हिस्सा है. नटराज का चित्रण भारतीय कला और धर्म के साथ साथ विश्व कला और धर्म के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है.

कोणार्क चक्र का इतिहास 

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भारत मंडपम में प्रधानमंत्री ने जी 20 समिट में आए मेहमानों का स्वागत कोणार्क चक्र के आगे खड़े होकर किया. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को भी प्रधानमंत्री ने इस इतिहास से रूबरू करवाया. कोणार्क चक्र, जिसे "सूर्य का चक्र" भी कहा जाता है, भारत के उड़ीसा राज्य के कोणार्क में स्थित है और यह एक प्रमुख पर्वतारोहण का प्रतीक है। इसका नाम सूर्य देव के उपासना के लिए है, और यह चक्र सूर्य के प्रति श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं और 14वीं सदी में किया गया था, जब कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण हुआ था, जो एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है। इस चक्र का आकार बड़ा है और इसके 24 रेखाएँ हैं, जो घड़ियाल की तरह हैं। यह चक्र सूर्य के संकेत के रूप में होता है और इसका उपयोग मंदिर की शिखर को सूर्य की प्रकृति के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है. कोणार्क चक्र का इतिहास उस समय की धार्मिक और कला संस्कृति की महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह मंदिर की आर्किटेक्चर में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास 

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नालंदा विश्वविद्यालय, भारत के बिहार राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और शिक्षा संस्थान था जो अगले से लेकर 5वीं सदी तक महत्वपूर्ण था. इसका इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है, और यह विश्व के सबसे प्रसिद्ध बौद्ध और जैन विद्यालयों में से एक था. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त बालदेव के पुत्र कुमारगुप्त के द्वारा 5वीं सदी में की गई थी. इस विश्वविद्यालय में धर्म, दर्शन, विज्ञान, गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष, भूगोल, विद्या, कला, संगीत, और विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाती थी। इसके अध्यापक और छात्र विश्वभर से आते थे और यह एक महत्वपूर्ण ज्ञान केंद्र था. नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास उसके उन गोलाकार शिखरों के साथ जुड़ा हुआ है, जो इसके मंदिरों और भवनों के हिस्से थे. यहां के शिक्षार्थी और उनके शिक्षक बौद्ध और जैन दर्शन की बाधाओं को पार करने के लिए अपने जीवन को समर्पित करते थे. नालंदा विश्वविद्यालय की शिखर अवस्था 12वीं सदी तक रही, लेकिन फिर इसे अनेक आक्रमणों का शिकार हो गया और अंत में इसकी पूरी तबादला कर दी गई. आजकल, नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर और उनका इतिहास भारतीय संस्कृति और शिक्षा के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं.

साबरमति आश्रम का इतिहास

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साबरमती आश्रम, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण केंद्र और महात्मा गांधी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था। यह आश्रम गुजरात के साबरमती नदी के किनारे स्थित था. साबरमती आश्रम का इतिहास 1917 में महात्मा गांधी द्वारा स्थापित किया गया था। इस आश्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करना और अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशक्त सामाजिक आंदोलन को प्रोत्साहित करना था. गांधीजी ने इस आश्रम को एक स्वतंत्रता संग्राम केंद्र और आदर्शिक जीवन शैली के रूप में बनाया और यहां से विभाजन, असहमति और हिंसा के बिना स्वतंत्रता की दिशा में लोगों को मार्गदर्शन दिया. साबरमती आश्रम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का स्थल था, जैसे कि दांडी मार्च (Salt March) जो 1930 में हुआ था और कानूनी रूप से नमक के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करने के लिए गांधीजी द्वारा चलाया गया था. साबरमती आश्रम का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि के रूप में रहा है और गांधीजी के आदर्शों का प्रसार किया गया है.

Source : News Nation Bureau

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