सरकार ने लिखित प्रस्ताव में दिए ये आश्वासन, किसान कानूनों को रद्द करने पर अड़े
सरकार ने किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है. जिसमें कई तरह के आश्वासन सरकार ने दिए हैं.
नई दिल्ली:
कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच बातचीत का हल निकलता नहीं दिख रहा है. कई दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं और नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं. जबकि सरकार इन कानूनों में संसोधन किए जाने के पक्ष में है. अब बात इतनी बिगड़ गई है कि आज होनी वाली बैठक को रद्द करना पड़ा है. हालांकि इस बीच सरकार ने किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है. जिसमें कई तरह के आश्वासन सरकार ने दिए हैं.
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सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने अपने लिखित प्रस्ताव में किसानों को एमएसपी पर गारंटी का भी आश्वासन दिया है. इसके अलावा सरकार की ओर से लिखित प्रस्ताव में APMC को और मजबूत करने, निजी मंडी में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, निजी कंपनियों पर टैक्स और किसानों को कोर्ट जाने का अधिकार देने का आश्वासन दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव में सरकार की ओर से कहा गया है कि पिछले 60 सालों से MSP जारी है, आगे भी जारी रहेगी.
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को किसान संगठनों से कानून में क्या संशोधन हो सकते हैं उस पर बात की. किसानों ने जो भी संशोधन करने की मांग की उन्होंने सभी संशोधन करनी की बात कही है। आज वे किसानों को लिखित प्रस्ताव दे रहे हैं, किसान विचार कर सरकार को बताएंगे.
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हालांकि सरकार के लिखित प्रस्ताव के बाद भी किसान पीछे हटने को राजी नहीं हैं. अब किसान इस प्रस्ताव को लेकर बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तैयार करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम अपनी बैठक में रणनीति बनाएंगे और उनके (केंद्र) प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा, 'किसान वापस नहीं जाएगा, अब किसान के मान-सम्मान का सवाल है. सरकार कानून वापस नहीं लेगी, तानाशाही होगी? अगर सरकार हठधर्मी पर है तो किसान की भी हठ है. ये पूरे देश के किसानों का सवाल है.'
किसानों नेताओं का कहना है कि कानूनों को खत्म किए जाने से ही बात बनेगी. जब तक कानून खत्म नहीं होंगे, वे यहां डटे रहेंगे. पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि सरकार इस समय हड़बड़ाहट में है, कल शाम बुलाई गई बैठक बेफायदा थी. प्रस्ताव भेजना था तो 6 या 7 दिसंबर को भेजते.
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यहां गौर करने वाली बात यह है कि शुरुआत में किसान सरकार से एमएसपी पर लिखित आश्वासन और कोर्ट जाने का अधिकार दिए जाने की मांगें कर रहे थे. सरकार की ओर से आश्वासन के बाद अब सीधे तौर पर किसान तीनों कृषि कानूनों को ही खत्म किए जाने पर अड़े हैं. बता दें कि पिछले 14 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं.
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