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जिस फिरोज खान की BHU में नियुक्ति पर मचा था बवाल, उनके पिता को मिला पद्मश्री

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का भी ऐलान हुआ. इसमें सबसे अधिक चर्चा जिस नाम को लेकर हुई वो है राजस्थान के भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर का. उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है. वह प्रोफेसर फिरोज खान के पिता हैं.

Updated on: 26 Jan 2020, 08:59 AM

नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का भी ऐलान हुआ. इसमें सबसे अधिक चर्चा जिस नाम को लेकर हुई वो है राजस्थान के भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर का. उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है. वह प्रोफेसर फिरोज खान के पिता हैं. इनकी पिछले दिनों बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्कृत निकाय में नियुक्ति को लेकर काफी बवाल मचा था. जयपुर के रहने वाले रमजान खान भगवान श्रीकृष्ण और गाय पर भक्ति गीत के लिए मशहूर हैं.

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पिछले दिनों फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर काफी विवाद सामने आया था. अब इनके पिता को पद्मश्री मिलने पर एक बार फिर इनका नाम सुर्खियों में है. शनिवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई. इनमें पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस समेत 7 हस्तियों को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही मनोहर पर्रिकर और पीवी सिंधु समेत 16 हस्तियों को पद्म भूषण से नवाजा गया. इस बार सरकार की ओर से 118 हस्तियों को पद्म श्री देने का ऐलान किया गया है. इस लिस्ट में रमजान खान की भी नाम है. 61 साल के रजमान खान ने श्री श्याम सुरभि वंदना नाम से किताब भी लिखी है. रजमान खान संस्कृत के भी अच्छे जानकार माने जाते हैं.

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फिरोज की नियुक्ति पर हुआ था बवाल
रजमान खान उर्फ मुन्ना मास्टर के बेटे फिरोज खान का पिछले दिनों बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर इंटरव्यू 5 नवंबर को हुआ था. इसके बाद फिरोज खान को नियुक्ति दे दी गई. इस नियुक्ति पर छात्रों ने विरोध करना शुरू कर दिया और 7 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे. यह विरोध-प्रदर्शन करीब एक महीना चला था. छात्रों का कहना था कि गैर-हिंदू शिक्षक संस्कृत संकाय में धार्मिक अनुष्ठान नहीं सिखा सकता. वह अन्य संस्कृत विभाग में भाषा तो पढ़ा सकता है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान नहीं सिखा सकता. इस विवाद के बाद फिरोज खान ने पद से इस्तीफा दे दिया और संस्कृत विभाग के कला संकाय में नौकरी जॉइन कर ली.