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डेढ़ सौ साल से जारी है गायों की सेवा का दौर

डेढ़ सौ साल से जारी है गायों की सेवा का दौर

Updated on: 24 Aug 2021, 04:10 PM

इंदौर:

गाय के नाम पर सियासत हर तरफ होती है, मगर कम लोग ऐसे हैं जो गायों को नया जीवन देने मे लगे हैं, ऐसा ही एक उदाहरण है इंदौर में। यहां गाय संरक्षण की दिशा में नायाब काम हो रहा है, अहिल्यामाता जीव दया मंडल गौशाला ट्रस्ट की पेड़मी में संचालित गौशाला एक आदर्श है।

भारतीय संस्कृति में गौ-माता का विशेष महत्व है। इस महत्व को देखते हुये अनेक संगठन और संस्थाएं गौवंश की रक्षा, सुरक्षा और संवर्धन के लिये निरंतर कार्यरत हैं। इन्हीं में से एक संस्था है अहिल्या माता जीव दया मंडल जो डेढ़ सौ से अधिक वर्षों से निरीह और निशक्त गौवंश की सेवा में लगी हुई है। यह सेवा और सुश्रुषा की अनूठी मिसाल है। इस संस्था के कार्यों को देखते हुये नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सीता प्रसाद तिवारी गौशाला को गोद लेने का संकल्प लिया। उन्होंने गौवंश को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा का वचन भी लिया।

अहिल्यामाता जीव दया मंडल गौशाला ट्रस्ट द्वारा इंदौर से कोई 25 किलोमीटर दूर पेड़मी में गौशाला संचालित की जा रही है। बताया गया कि इस संस्था द्वारा लगभग 159 सालों से गौवंश की सेवा निस्वार्थ भाव से की जा रही है। इस गौशाला में निराश्रित, वृद्ध और दुर्घटनाग्रस्त गायों की देखभाल की जाती है। वर्तमान में लगभग 550 गौवंश का लालन-पालन किया जा रहा है। प्रतिमाह इस गौशाला में पशु चिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञ आकर पशुओं की सेवा सुश्रूषा, चिकित्सा करते हैं। इसके साथ ही पंचगव्य एवं अन्य गो उत्पाद निर्माण के प्रशिक्षण भी दिये जाते हैं।

गौशाला को आदर्श गौशाला के रूप में विकसित करने के लिये ट्रस्ट के ट्रस्टी निरंतर सेवा दे रहे हैं। इन्हीं में से एक ट्रस्टी शंकरलाल का कहना है कि गौशाला को आदर्श बनाने के लिये नागरिकों का सहयोग मिल जाता है। भारतीय वन सेवा के पूर्व अधिकारी पी.सी. दुबे भी सक्रिय रूप से गौशाला से जुड़े हैं। गौशाला को आदर्श गौशाला के रूप में विकसित करने के निरंतर प्रयास हो रहे हैं।

बताया गया है कि गौशाला में दुर्घटना ग्रस्त और बीमार गायों के उपचार के लिये विशेष वार्ड बनाया गया है। गायों का नियमित टीकाकरण भी किया जाता है। उनके उपचार और देखभाल में किसी तरह की कमी नही रखी जा रही है। यह गौशाला निराश्रित, अशक्त, असहाय और दुर्घटना ग्रस्त गौवंश की सेवा और सुश्रुषा की अनूठी मिसाल है।

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