भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट विधि विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने पूजा अर्चना के बाद ठीक 6 बजकर 15 मिनट पर कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए। कपाट खुलने के अवसर पर भगवान बदरी विशाल को शीतकाल के दौरान ओढ़ाया गया घी से लेपित कंबल का प्रसाद वितरित हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। बदरीनाथ मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पहली पूजा की गई। कपाट खुलने के समय धाम में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे।
इसी मुहूर्त पर भविष्य बदरी मंदिर के भी कपाट खुल गए हैं। भविष्य बदरी का मंदिर जोशीमठ नीती मार्ग पर भविष्य बदरी गांव में है। तड़के बदरीनाथ के कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई। सेना के बैंड की मधुर ध्वनि पर सिंह द्वार के सामने श्रद्धालु भजन गाकर कपाट खुलने के उत्सव को यादगार बना रहे थे।
रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी विधिविधान से पूजा अर्चना के बाद कपाट खोले। रावल द्वारा स्त्री वेश धारण कर गर्भ गृह से सर्वप्रथम मां लक्ष्मी को परिक्रमा स्थल में लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया गया। इसके बाद उद्धव जी व कुबेर जी, गरुड़ जी को गर्भ गृह में स्थापित किया गया। शंकराचार्य जी की गद्दी को मंदिर परिक्रमा स्थल पर विराजमान किया गया।
कपाट खुलने के साक्षी बनने के लिए तड़के से ही सिंहद्वार से श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग गई थी। ठंड के बाद भी श्रद्धालुओं में अपार उत्साह देखा गया। बदरीनाथ धाम नारायण के जयकारों से गुंजायमान रहा। मंदिर में कपाट खोलने की प्रक्रिया के दौरान धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल सहित वेदपाठियों ने मंत्रोचारण किया।
इस दौरान श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, ज्योतिमठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अवमुक्तेश्वरानंद, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार सहित कई विशिष्ट व्यक्तियों ने दर्शन किए। कच्छ से मीलों पैदल यात्रा कर आए साधु-संतों ने भी दर्शन किए। महंत हरिदास जी महाराज, महंत कच्छी आश्रम, गुजरात के नेतृत्व में श्रद्धालु गौ रक्षा और विश्वशांति के संकल्प के साथ कच्छ, गुजरात से पदयात्रा करते हुए बदरीनाथ धाम पहुंचे। जिन्होंने कपाट खुलने के अवसर पर भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए।
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Source : IANS