जिस बीमारी से हुई कादर खान की मौत, वह एक लाख में से 3 को होता है यह रोग, रामदेव ने भी किया था इलाज

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान ने कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने 31 दिसंबर की शाम 6 बजे आखिरी सांसें ली.

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान ने कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने 31 दिसंबर की शाम 6 बजे आखिरी सांसें ली.

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Drigraj Madheshia
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जिस बीमारी से हुई कादर खान की मौत, वह एक लाख में से 3 को होता है यह रोग, रामदेव ने भी किया था इलाज

कादर खान

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता कादर खान ने कनाडा के टोरंटो के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने 31 दिसंबर की शाम 6 बजे आखिरी सांसें ली. कादर खान को प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी डिसऑर्डर (Progressive supranuclear palsy (PSP)) नाम की परेशानी थी, इस बीमारी की वजह से उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. कादर खान ने अपने फिल्मी करियर में 300 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. वे अभिनय के साथ-साथ फिल्में भी लिखा करते थे.

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कादर खान बेहतरीन अभिनेता के साथ एक विरले इंसान भी थे. और यह संयोग देखिए कि जिस बीमारी ने उनकी जान ली वह भी बिरले निकली. प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी डिसऑर्डर यह वह बीमारी है जो करीब एक लाख लोगों में से केवल 3 से 7 लोगों को होती है. शरीर का मूवमेंट , संतुलन, बोलने, निगलने, मनोदशा और व्यवहार के साथ सोच को भी प्रभावित करता है. डिसऑर्डर मस्तिष्क में नर्व सेल्स के नष्ट होने के कारण होता है.

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हृदय रोग के मशहूर डॉ केके अग्रवाल के अनुसार इस बीमारी से मरीज देखने, सुनने, खाने-पीने की क्षमता लगभग खो देता है. यह पर्किंसन जैसी है. 65 साल की उम्र के बाद यह रोग लोगों को अपनी गिरफ्त में लेता है. अभी तक 40 से कम उम्र के लोगों में यह बीमारी देखने को नहीं मिली है. इसके प्राथमिक लक्षणों में नींद की कमी, कठोरपन, चलने-फिरने में परेशानी, नजर का कमजोर होना.

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बाबा रामदेव के यहां भी कराया था इलाज

कादर खान करीब दो साल पहले स्वामी रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि केंद्र में भी अपने इलाज के लिए दाखिल रहे थे. पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि "तब उनकी तबीयत में काफ़ी सुधार हुआ था". बालकृष्ण बताते हैं,"वह हमारे यहाँ इलाज़ के लिए आए थे. उनके सुपुत्र भी उनके साथ थे. हम लोगों ने उनकी खूब सेवा की. तब वह काफी प्रसन्न थे. सुनने में आया तब उनकी आवाज़ चली गयी थी. साथ ही यह भी कि वह चल भी नहीं पाते थे. आवाज़ का यह था कि जब वह आए तब मुश्किल से बहुत ही कम और धीमे से बोल पाते थे लेकिन हमारे इलाज से उनको काफी लाभ हो रहा था, और वह ठीक से बोलने लग गए थे. यह ठीक है कि पहले वह खड़े भी नहीं हो पाते थे लेकिन इलाज के बाद वह चलने लग गए थे".

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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