अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस नजीर को मिली Z कटेगरी सुरक्षा, जान को है खतरा

मोदी सरकार ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड कटेगरी ('Z' category security) देने का फैसला लिया है.

मोदी सरकार ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड कटेगरी ('Z' category security) देने का फैसला लिया है.

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nitu pandey
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अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस नजीर को मिली Z कटेगरी सुरक्षा, जान को है खतरा

जस्टिस एस अब्दुल नजीर( Photo Credit : ANI)

मोदी सरकार ने अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड कटेगरी ('Z' category security) देने का फैसला लिया है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जस्टिस नजीर और उनके परिवार वालों को जान का खतरा है. जिसे देखते हुए सरकार ने सुरक्षा देने का फैसला लिया है.

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बता दें कि जस्टिस अब्दुल नजीर अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायमूर्तियों में शामिल थे. गृहमंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस को नजीर और उनके परिवार वालों को सुरक्षा देने के लिए आदेश दे दिया है. सुरक्षा एजेंसियों ने अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद पीएफआई और अन्य से अब्दुल नजीर और उनके परिवार की जान को खतरा होने को लेकर आगाह किया है.

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अधिकारियों ने एएनआई को बताया कि सुरक्षाबलों और पुलिस को आदेश दिया गया है कि तत्काल प्रभाव से जस्टिस नजीर और उनके परिवार को कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों में जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाए. जस्टिस नजीर जब बंगलूरू, मंगलुरू और राज्य के किसी भी हिस्से में सफर करेंगे तो उन्हें कर्नाटक कोटा से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी.

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बता दें कि 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा में सीआरपीएफ और पुलिस के करीब 22 जवान तैनात होते हैं. सरकार ने इससे पहले 9 नवंबर को फैसला आने से पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी थी.

9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मत से अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था. विवादित जमीन रामलला को देने का आदेश दिया गया था, वहीं सुन्नी वफ्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीने देने को कहा गया था. जबकि निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया था. 

बता दें कि 61 साल के जस्टिस नजीर 1983 में कर्नाटक हाईकोर्ट में वकील बनकर करियर की शुरुआत की थी. 2003 में वो हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने थे. 17 फरवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी पोस्टिंग हुई. जस्टिस नजीर तीन तलाक पर फैसला सुनाने वाले पांच जजों की बेंच में भी थे. 

Supreme Court Ayodhya Verdict Justice s abdul nazeer z category
      
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