भारत में मूंगफली बेच गुजारा कर रहे पाकिस्तान के यह सांसद, CAA पर PM मोदी को कहा शुक्रिया
पाकिस्तान में हिंदुओं को किस तरह प्रताड़ित किया जाता है इसे बेनजीर भुट्टो के शासनकाल में पाकिस्तान में सांसद रहे डिवायाराम से बेहतर कौन जान सकता है.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान में हिंदुओं को किस तरह प्रताड़ित किया जाता है इसे बेनजीर भुट्टो के शासनकाल में पाकिस्तान में सांसद रहे डिवायाराम से बेहतर कौन जान सकता है. सांसद बनने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं. धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया जाने लगा. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें समझौता करने को कहा गया. ऐसे में वह पाकिस्तान से भारत की शरण में आ गए. यहां सर्दियों में मूंगफली तो गर्मियों में कुल्फी बेचकर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं. अब नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद वह काफी खुश हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को इसके लिए शुक्रिया कहा है.
बेनजीर भुट्टो ने बनाया था सांसद
डिवायाराम हरियाणा के फतेहाबाद के गांव रतनगढ़ में मूंगफली बेच अपने परिवार की देखभाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों
के लिए कुछ सीट रिजर्व रहती हैं. बेनजीर भुट्टो तब अपने पिता की मौत के बाद राजनीति में आई तो उनके स्वागत में भाषण दिया था. इससे खुश होकर भुट्टो ने रिजर्व सीट से उसे सांसद बना दिया. वह बताते हैं कि सांसद बनने के बाद उनके परिवार की मुसीबत अधिक बढ़ गई. इससे खफा मुस्लिम समाज के लोगों ने 15 दिन बाद ही उनके परिवार की एक लड़की का अपहरण कर लिया और उन्हें पद छोड़ने के लिए धमकियां भी दीं.
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सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
डिवायाराम ने बताया कि उनका यह मामला पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट के जज ने भी उन्हें समझौता करने और धर्म परिवर्तन कर मामला खत्म करने की नसीहत दी. जब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें न्याय नहीं मिला तो डिवायाराम ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण लेने का निर्णय लिया.
प्रताड़ना से तंग आकर छोड़ा था पाकिस्तान
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लहिय्या जिले के गांव 150 चक पीडी के निवासी डिवायाराम अपने परिवार के साथ जनवरी 2000 में भारत आए थे. उन्हें सिर्फ एक महीने का वीजा मिला था. वह रोहतक जिले के कलानौर और रोहतक में रहे. वीजा खत्म हुआ तो उन्होंने तत्कालीन रोहतक के डीसी से समक्ष पेश होकर अर्जी दी कि वह और उनका परिवार किसी भी सूरत में पाकिस्तान नहीं जाना चाहता. डिवायाराम ने बताया कि 2006 में वह रोहतक से फतेहाबाद के रतिया कस्बे के निकट गांव रतनगढ़ में आकर रहने लगे. पिछले 13 सालों से वहीं रह रहे हैं. उनकी बजरंग दल व अन्य हिंदू संगठनों ने उनकी मदद की.
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सर्दी में मूंगफली और गर्मी में कुल्फी बेच करते हैं गुजारा
डिवायाराम पाकिस्तान से आकर रतनगढ़ में रहने लगे. वह सर्दियों में मूंगफली तो गर्मियों में कुल्फी बेचकर अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं. संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने से डिवायाराम बहुत खुश हैं और जश्न मना रहे हैं. इससे उनको खुद और परिवार को भारत की नागरिकता की उम्मीद है. अब उन्हें उम्मीद है कि उनके परिवार का भी राशन कार्ड बनेगा और वे सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का भी लाभ उठा सकेंगे.
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