जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को दहलाने के लिए आंतकवादी (Terrorist) एक बार फिर गहरी चाल चल रहे हैं. सेना के सूत्रों (Indian Army Inputs) ने खुलासा किया है कि मुहर्रम (Muharram) के दिन ये आतंकवादी घाटी की शांति को भंग करने की कोशिश कर सकते हैं और यहां हिंसा फैला सकते हैं. वैसे तो जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) से आर्टिकल 370 और 35-ए (Article 370 and 35-A) को हटाए जाने के बाद से बौखलाया पाकिस्तान कश्मीर की शांति को भंग करने की चाल चल रहा है. जम्मू कश्मीर में जिंदगी अब धीरे- धीरे पटरी पर आ रही है हालांकि अभी कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं. भारत धीरे-धीरे इन प्रतिबंधित इलाकों से भी प्रतिबंध खत्म कर देगा.
इस बीच सेना के सूत्रों ने बड़ा दावा किया है कि 10 सितंबर को मुहर्रम (Muharram 2019) के दिन कश्मीर (Kashmir) में आतंकियों और उनके पनाहगार हिंसा फैलाने की योजना है. इसीलिए एहतियातन इस बार भी मुहर्रम (Muharram) के दिन सड़कों पर जुलूस और ताजिया नहीं निकाले जाने का निर्णय लिया गया है.
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सेना के सूत्रों ने बताया कि आंतकवादी कश्मीर की मस्जिदों और जियारत (Shrine) पर हमला (आग लगाने की कोशिश) के जरिये हिंसा फैलाने और माहौल को खराब किये जाने की योजना है. इसी के साथ वो दो गुटो जो कि शिया और सुन्नी हैं, के बीच आपसी झड़प और हिंसा भड़काने की योजना बना रहे है. इसी वजह से सुरक्षा बल की सलाह पर यह फैसला लिया गया है. इसे लेकर सुरक्षा बल कश्मीर में सभी गतिविधियों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी और इस बार ताजिया नहीं उठेगा.
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कश्मीर में कोई घटना न हो इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है. सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने मीडिया को बताया कि प्रशासन पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए जुलूस निकालने की इजाजत नहीं देगी ताकि कोई असामाजिक तत्व सुरक्षा बलों के साथ झड़प भड़काने के लिए उसका इस्तेमाल ना कर सकें. उन्होंने बताया कि शिया समुदाय के सभी सम्मानित सदस्यों को सूचित कर दिया गया है कि वे इन 10 दिनों में अपने सभी रीत-रिवाज संबंधित इमामबाड़ों में करें. मुहर्रम में शिया समुदाय 10 दिन का शोक मनाता है. यह एक सितंबर से शुरू हुआ है.
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मुहर्रम खुशियों का त्योहार नहीं बल्कि मातम और आंसू बहाने का महीना है. शिया समुदाय के लोग 10 मुहर्रम के दिन काले कपड़े पहनकर हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करते हैं. हुसैन की शहादत को याद करते हुए सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और मातम मनाया जाता है. मुहर्रम की नौ और 10 तारीख को मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत की जाती है. वहीं सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम के महीने में 10 दिन तक रोजे रखते हैं. कहा जाता है कि मुहर्रम के एक रोजे का सबाब 30 रोजों के बराबर मिलता है.
बता दें कि आतंक को पालने वाला पाकिस्तान हर दिन भारत पर मोर्टार दाग रहा है. हर दिन सीजफायर का उलंग्घन करता है जिसके बाद भारतीय सुरक्षाबल उसे उसकी इस हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देते हैं. पाकिस्तान की ओर से हो रहे इन सीजफायर के पीछे भारत में आतंकी दाखिल करने की योजना है.
HIGHLIGHTS
- मुहर्रम के दिन आतंकी दहला सकते हैं कश्मीर को.
- सेना के सूत्रों ने किया आतंकी अटैक के लिए जारी किया अलर्ट.
- जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने मुहर्रम पर 10 सितंबर को हिंसा फैलाने की साजिश रची.