2004-17 में सामने आये 10 हज़ार सांप्रदायिक हिंसा के मामले, 1,605 लोगों की गई जान, RTI में हुआ खुलासा
साल 2004-17 में देश के अलग-अलग-अलग हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा में हज़ारों लोगों की जान चली गई.
नई दिल्ली:
पिछले साल की शुरुआत में महाराष्ट्र सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस गया था. इस घटना के बाद प्रभावित इलाके में हालात कई दिनों तक तनावपूर्ण रहे. सांप्रदायिक हिंसा की आग में कई सालों से लोग झुलसते आ रहे है. साल 2004-17 में देश के अलग-अलग-अलग हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा में हज़ारों लोगों की जान चली गई.
भारत में 2004-17 के दौरान 10,399 सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें 1605 लोगों की जान चली गई जबकि 30,723 लोग घायल हो गए. एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने इन आंकड़ों को उजागर किया. 2008 में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगो के मामले सामने आए थे. उस दौरान 943 सांप्रदायिक दंगे हुए थे जिसमें 167 लोगों की जान चली गई थी जबकि 2354 लोग घायल हो गए थे.
2011 में हिंसा के कम मामले दर्ज हुए थे जिसमें 91 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 1,899 लोग घायल हो गए थे. करीब 580 केस दर्ज किये गए थे.आरटीआई एक्टिविस्ट अमित गुप्ता ने इस अवधि के दौरान सांप्रदायिक झड़पों, दंगों और गोलीबारी से संबंधित मामलों में गिरफ्तार और दोषी लोगों की संख्या जानने की भी मांग की थी.
2016-2017
आरटीआई के जवाब के मुताबिक, 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के 822 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 111 लोग मारे गए और 2,384 घायल हुए थे. 2016 में 703 मामले दर्ज किए गए थे, 86 लोग मारे गए थे और 2,321 घायल हुए थे.
2012-2015
2015 में 751 मामले सामने आए जिसमें 97 लोग मारे गए और 2,264 घायल हो गए. 2014 में 644 मामले सामने आए जिसमें 95 लोग मारे गए जबकि 1,921 लोग घायल हो गए थे. 2013 के अनुसार इस तरह के 823 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 133 लोग मारे गए थे और 2,269 लोग घायल हुए थे, जबकि 2012 में सांप्रदायिक झड़पों के 668 मामले सामने आए थे, जिसमें 94 लोग मारे गए थे और 2,117 घायल हुए थे.
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2009-2006
साल 2009 में दूसरे सबसे ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आये थे. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2009 में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 125 लोग अपनी जान गंवा बैठे थे. जबकि 2461 लोग घायल हो गए थे. 2007 में 761 मामले सामने आए. उस दौरान 99 लोग मारे गए और 2,227 घायल हो गए थे. साल 2006 में 698 मामले सामने आए जिसमें 133 लोग मारे गए और 2,170 लोग घायल हो गए थे.
2004-2005
2005 में 779 मामले दर्ज किए गए, 124 लोग मारे गए और 2,062 घायल हुए, जबकि 2004 में 677 मामले थे, जिसमें 134 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 2,132 घायल हो गए थे.
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