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यूपी चुनाव से पहले बसपा की 'सोशल इंजीनियरिंग', पढ़िए, मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस की 10 खास बातें

मायावती ने कहा कि उन्हें यूपी की जनता पर पूरा भरोसा है। मायावती के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने जानबूझकर अपनी लखनऊ रैली में समाजवादी पार्टी के पारिवारिक कलह पर कुछ भी नहीं बोला।

Updated on: 03 Jan 2017, 04:21 PM

नई दिल्ली:

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी चुनावी रणनीति की झलक पेश करने के साथ-साथ बीजेपी की केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर हमला बोला। साथ ही मायावती ने साफ किया कि उनकी पार्टी यूपी चुनाव में अकेले उतरेगी।

मायावती ने कहा कि उन्हें यूपी की जनता पर पूरा भरोसा है। मायावती के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने जानबूझकर अपनी लखनऊ रैली में समाजवादी पार्टी के पारिवारिक कलह पर कुछ भी नहीं बोला। मायावती दलित और मुस्लिम वर्ग को दो धड़ों में बंटी सपा के छलावे में जाकर अपना वोट बर्बाद नहीं करने की भी नसीहत दी।

पढ़िए, मायावती के प्रेस कॉन्फ्रेंस की दस खास बातें:

1. बीएसपी में कोई भेदभाव नहीं होता है। अपने शासनकाल में पार्टी ने यह कर के दिखाया है। बहुजन समाज पार्टी ने अपने चारों शासनकाल में सभी वर्गों को ध्यान रखा और पार्टी में भी पूरा-पूरा सम्मान दिया।

2. बसपा के सभी उम्मीदवारों का नाम तय कर दिया गया है। चुनाव की तारीखों के सामने आने के साथ ही सभी नामों की घोषणा कर दी जाएगी।

3. अपर कास्ट को कुल 113 टिकट दिए गए हैं। यूपी विधान सभा की कुल 403 सीटों में अपर कास्ट में ब्राह्मण को 66 टिकट, क्षत्रिय को 36 और वैश्य और अन्य को 11 टिकट दिया गया गया है। साथ ही 97 मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया। पिछड़े और अनुसूचित वर्ग को 106 टिकट दिए गए हैं। 87 टिकट दलित वर्ग को दिए गए हैं।

4. दलितों को इतना नासमझ नहीं समझना चाहिए कि केवल कुछ लोगों द्वारा बाबा भीमराव अंबेडकर के नाम क इस्तेमाल करने से, खाना खाने से कुछ नहीं होगा। बाबा साहब के अनुयायी इन बातों से प्रभावित नहीं होंगे।

5. दलित केवल प्रधानमंत्री मोदी की सहानुभूति नहीं चाहते। दलित अपने अधिकारों और खुद से जुड़े कानून को जमीनी स्तर पर लागू होते देखना चाहते हैं।

6. सपा परिवार में वर्चस्व की लड़ाई के बीच समाजवादी पार्टी बंट गई है। ऐसे में मुस्लिम अपना वोट दोनों धड़ो को देकर अपना मत बर्बाद न करें। इससे बीजेपी को फायदा होगा। इसलिए मोदी ने भी अपनी लखनऊ रैली में सपा की लड़ाई का जिक्र नहीं किया

7. नोटबंदी के पीछे गोलमाल का अंदेशा है। नोटबंदी से पूंजीपतियों को ही फायदा हुआ और गरीब जनता परेशान है। गरीब को मकान दिलाने का वादा पूरा करे केंद्र सरकार, किसानों की कर्ज माफी की घोषणा करे केंद्र सरकार अच्छे दिन के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। राष्ट्र के नाम संबोधन पर मोदी ने जो घोषणाए की वह बस खानापूर्ति थी।

8. प्रधानमंत्री का जानबूझकर ये कहना कि बीएसपी अपना पैसा बचाने में जुटी है, गलत है। अंतर यह है कि बीएसपी यह चाहती है कि अपने कार्यकर्ताओं के खून-पैसे की कमाई के पैसे बर्बाद न हो सके। वहीं दूसरी तरफ मोदी और बीजेपी आम लोगों का खून चूसकर धन्नासेठों को सौंप रही है।

9. प्रधानमंत्री को भी मालूम है कि बिना तैयारी के लिए नोटबंदी के फैसले के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट है। जनता को अपने पैसे खर्च करने की जिम्मेदारी मिले। केंद्र सरकार नोटबंदी के बाद बनाए अपने नियमों को ही रोज बदल रही है।

10. प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी के पचास दिन पूरा होने के साथ ही अपने वादे के मुताबिक यह बात पूरे देश को बता देनी चाहिए थी कि इससे क्या फायदा हुआ और कितनी मात्रा में कालाधन पकड़ा गया। कितना भ्रष्टाचार कम हुआ। लेकिन सरकार ने निराश किया।