बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह ममाले में तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला करते हुए पूछा कि इस मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है?
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी ने बुधवार को ट्विटर पर एक अख़बार की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, 'ऐसा नरपिशाच और दरिंदा बलात्कारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दुलारा है, आंखों का तारा है, सुशील मोदी का सितारा है, तभी तो नीतीश कुमार हाईकोर्ट मॉनिटर्ड सीबीआई जांच की मंज़ूरी नहीं दे रहे है। क्या माजरा है चाचा?'
इससे पहले सोमवार को मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की थी।
इस मौक़े पर बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि बिहार के बाल सुधार गृह में महिलाओं के साथ सालों से अत्याचार हो रहा है। सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार में बैठे लोग भी इस मामले में संलिप्त हैं। सरकार उनको बचाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा, 'बिहार सरकार मुंह दिखाने लायक नहीं है, जिस तरीके की घटना यहां महिलाओं और बच्चियों के साथ हुई है, उससे मानवता शर्मसार हुई है।'
पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने भी इस मामले को लेकर सरकार पर आरोपियों के बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस मामले के आरोपियों को सरकार संरक्षण दे रही है।
सांसद पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की
जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मुजफ्फरपुर बालिका गृह की लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच कराने की मांग की है।
सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री स्वयं 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' का नारा देते हैं, जबकि बिहार सरकार में शामिल बीजेपी के उपमुख्यमंत्री व मंत्री मुजफ्फरपुर की अमानवीय और शर्मसार करने वाली घटना को लेकर मौन हैं। यह आश्चर्यजनक है।
सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं के सोशल ऑडिट के दौरान कई गड़बड़ियों को उजागर किया था। इसकी रिपोर्ट भी विभाग के निदेशक को सौंपी गई थी।
इसी रिपोर्ट के आलोक में एक स्वयंसेवी संस्था (एनजीओ) के खिलाफ मुजफ्फरपुर के महिला थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उस एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह की लड़कियों को पटना और मधुबनी स्थानांतरित कर दिया गया था।
सांसद ने अपने पत्र में कहा है कि इन लड़कियों की मेडिकल जांच के दौरान स्पष्ट हो गया है कि बालिका गृह की लड़कियों के साथ दुष्कर्म और यौन शोषण हुआ था।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि इन लड़कियों को नशा खिलाकर नेताओं और अधिकारियों के पास भेजा जाता था। उन्होंने पत्र में कहा है कि इस मामले की प्रमुख गवाह व पीड़िता की हत्या कर दी गई है, जबकि एक संबंधित अधिकारी की भी हत्या कर दी गई है।
सांसद ने कहा कि दोषियों की राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच के कारण राज्य सरकार की मशीनरी इसका सही तरीके से जांच नहीं कर सकती है। जांच को प्रभावित किया जा सकता है। इसलिए पीड़ितों को न्याय और दोषियों को सजा दिलाने के लिए मुजफ्फरपुर मामले की सीबीआई जांच जरूरी है।
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जांच के बाद हुए कई खुलासे
बता दें कि मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की एक टीम ने राज्य के सभी बालिका गृहों का सोशल ऑडिट किया था। टीम ने 26 मई को उसकी रिपोर्ट बिहार सरकार और मुजफ्फरपुर जिला प्रशसन को भेजी, जिसमें यौन शोषण का मामला प्रकाश में आया। इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
मामले की जांच के बाद कई खुलासे हुए हैं। मुजफ्फरपुर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने सोमवार को कहा कि यहां की 46 लड़कियों की चिकित्सकीय जांच के बाद 21 लड़कियों के साथ यौन शोषण की पुष्टि हुई है। आरोप है कि यहां से छह लड़कियां गायब भी हो गई हैं।
एक पीड़िता ने आरोप लगाया है कि एक लड़की द्वारा यौन शोषण का विरोध किए जाने पर उसकी हत्या कर दी गई और शव को बालिका गृह परिसर में ही दफना दिया गया।
कौर ने बताया कि लड़की की निशानदेही पर बालिक गृह परिसर की खुदाई कराई करवाई जा रही है, हांलांकि अब तक की खुदाई में कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि अब तक इस मामले में बालिका गृह की अधीक्षिका इंदू कुमारी सहित 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के गायब होने के मामले की जांच की जा रही है।
सरकार द्वारा संचालित इस बालिका गृह की देखरेख स्वयंसेवी संस्था 'सेवा संस्थान संकल्प एवं विकास समिति' द्वारा की जा रही है।
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Source : News Nation Bureau