निर्भया के शरीर पर मिले थे दांतों के गहरे घाव, पुलिस ने इस टेक्नोलॉजी से दोषियों को खोजा था

7 साल 3 महीने बाद आखिर कार निर्भया केस (Nirbhaya Case) के चारो दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया. 5:30 पर चारो दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा(26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया.

7 साल 3 महीने बाद आखिर कार निर्भया केस (Nirbhaya Case) के चारो दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया. 5:30 पर चारो दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा(26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

7 साल 3 महीने बाद आखिर कार निर्भया केस (Nirbhaya Case) के चारो दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया. 5:30 पर चारो दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा(26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. इन दोषियों में से एक दोषी राम सिंह ने जेल में आत्महत्या कर ली थी. वहीं एक दोषी के नाबालिग होने पर उसे 3 साल की सजा के बाद बरी कर दिया गया था.

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आज जब इन दरिंदों को पांसी पर लटका दिया गया है तो ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इस हाई प्रोफाइल केस में कैसे 3 दिन के भीतर ही आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और इन दरिंदों ने आखिर किस तरह की हैवानियत की थी.

निर्भया के शरीर पर मिले थे दांत के निशान

निर्भया के शरीर पर राम सिंह और अक्षय के दांत के निशान मिले थे. पहली बार शायद भारत में किसी पुलिस ने दांत के निशान के जरिए दोषियों को पकड़ा था. कोर्ट ने कहा कि विक्टिम के शरीर पर मिले दांतों के निशान आरोपी के दांतों के निशान से मिलाए गए. दांतों के निशान से पता चला कि पीड़िता के शरीर पर तीन निशान रामसिंह के काटने से और एक निशान अक्षय के काटने से बना था.

बस की लेजर स्कैनिंग, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जैसे एडवांस टेक्नोलॉजी से जांच की गई. बस में विनय के फिंगर प्रिंट मिले. फिंगर प्रिंट की रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि यह साफ तौर पर जाहिर है कि घटना के वक्त विनय बस में मौजूद था.

निर्भया के शरीर पर मिले दांत के निशानों का मिलान आरोपियों के दांतों से किया गया. जानकारी के मुताबिक इस तरह की इन्वेस्टीगेशन पहली बार भारत में किया गया था.

तीन दिनों के लिए घर नहीं गईं DCP

निर्भया केस की जिम्मेदारी डीसीपी छाया शर्मा के पास थी. वह तीन दिनों तक घर नहीं गई थीं. छाया शर्मा ने अपनी टीम के साथ मिलकर पूरा ध्यान दोषियों की गिरफ्तारी पर लगा दिया. क्योंकि उन्हें इस बारे में पता था कि अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो यह मामला हाथ से निकल जाएगा. अपराधियों को पकड़ने के लिए छाया शर्मा ने 100 पुलिसकर्मियों की अलग-अलग टीमें बनाईं. 18 दिनों के भीतर केस की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दिया गया. मजिस्ट्रेट को अपने दिए गए बयान में निर्भया ने कई अहम जानकारियां दीं. जिससे पुलिस को काफी मदद मिली. 13 दिनों बाद निर्भया की सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई. डीसीपी 3 दिनों तक अपने घर नहीं गई थीं.

पुलिस ने ऐसे लगाया था पता

निर्भया ने अपने बयान में कहा था कि जिस बस में उसका गैंगरेप हुआ उसकी सीटों का रंग लाल था. उस पर पीला कवर चढ़ा था. दिल्ली जैसे बड़े इलाके में बस को बिना नंबर के खोजना बहुत मुश्किल था. पुलिस टीम ने दिल्ली-एनसीआर में ऐसी करीब 300 बसों को शॉर्टलिस्ट किया. वसंतकुंज के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. मुख्य आरोपी राम सिंह को पकड़ लिया गया. वह बस का ड्राइवर था. इसके बाद उसके भाई मुकेश को पकड़ लिया गया. बाकी 4 आरोपी भी जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में आ गए.

Source : News Nation Bureau

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