मध्य प्रदेश के बागी विधायकों को मनाने का जिम्मा डीके शिवकुमार को, बोले- जल्द लौट आएंगे
मध्य प्रदेश के बागी विधायकों को मनाने का जिम्मा कांग्रेस ने अपने संकटमोचक डीके शिवकुमार (DK Shiv Kumar) को सौंपा है. कर्नाटक में जब विधायक बागी हुए थे, तब भी डीके शिवकुमार ने उन्हें मनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बागी विधायकों को मनाने का जिम्मा कांग्रेस ने अपने संकटमोचक डीके शिवकुमार (DK Shiv Kumar) को सौंपा है. कर्नाटक में जब विधायक बागी हुए थे, तब भी डीके शिवकुमार ने उन्हें मनाने में अहम भूमिका निभाई थी. मध्य प्रदेश के बागी विधायकों को मनाने को लेकर क्या रणनीति होगी? इस सवाल के जवाब में शिवकुमार बोले, '19 विधायक कर्नाटक पुलिस की कस्टडी में हैं. मैं अपनी रणनीति तो नहीं बताऊंगा लेकिन यह अभी खत्म नहीं हुआ है. इसमें लंबा समय नहीं लगेगा... लेकिन वे जल्द ही लौट आएंगे.'
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डीके शिवकुमार राजनीतिक प्रबंधन में निपुण माने जाते हैं. कर्नाटक के अलावा गुजरात में राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की जीत में भी शिवकुमार ने अहम भूमिका अदा की थी. अब जबकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस फिर से संकट में है, लिहाजा एक बार फिर उन्हें याद किया गया है.
शिवकुमार वोकालिग्गा समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. गुजरात में कांग्रेस के बुरे समय में शिवकुमार ने पार्टी को संकट से उबारा था. तब कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे थे. इस बीच अहमद पटेल को राज्यसभा भेजने की चुनौती कांग्रेस के सामने आन पड़ी. शिवकुमार इसके लिए गुजरात कांग्रेस के 44 विधायकों को बेंगलुरू के पास अपने रिसॉर्ट में ले गए. ईगलटन नामक रिसॉर्ट में विधायकों को रखा गया. तब जाकर राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल को जीत हासिल हुई.
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद सीएम पद की शपथ ले चुके बीएस येदियुरप्पा को शिवकुमार की रणनीति के चलते ही इस्तीफा देना पड़ा था. तब डीके शिवकुमार का नाम मीडिया में सुर्खियों में रहा था. कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने में शिवकुमार ने सफलता हासिल की थी. दूसरी बार जब कर्नाटक में ऑपरेशन लोटस चला, तब भी बागी विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी शिवकुमार ने अपने कंधे पर ली थी. वे मुंबई में बागी विधायकों को मनाने पहुंचे थे, लेकिन तब वहां की पुलिस ने शिवकुमार को होटल में घुसने की परमिशन नहीं दी थी और काफी हंगामा हुआ था. विधायकों से न मिलने के कारण कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार चली गई और बीएस येदियुरप्पा सत्ताशीन हो गए थे.
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