तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रहे राजनीतिक संकट के बीच आज का दिन शशिकला के लिये अहम साबित हो सकता है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ चल रहे मुकदमे में आज फैसला आ सकता है।
एआईडीएमके की महासचिव शशिकला पार्टी की विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शशिकला का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय हो गया था लेकिन कार्यवाहक मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के बगावत के बाद से राज्य में राजनीतिक संकट शुरू हो गया।
राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष दोनों पक्षों ने बहुमत होने का दावा पेश किया था। लेकिन राज्यपाल ने अभी तक सरकार बनाने के लिए किसी को आमंत्रित नहीं किया है।
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सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से शशिकला को बहुमत साबित किए जाने के लिए अब तक नहीं बुलाया है।
इधर सोमवार को तमिलनाडु में जारी सियासी संकट को खत्म करने के लिये अटॉर्नी जनरल ने तमिलनाडु के गवर्नर सी विद्यासागर राव को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी है।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'राज्यपाल को एक हफ्ते के भीतर तमिलनाडु विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पन्नीरसेल्वम और शशिकला को बहुमत साबित करने का मौका देना चाहिए।'
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जाने क्या हैं शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला?
शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कार्यकाल से जुड़ा हुआ मामला है। जयललिता के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शशिकला पर अपने और परिवार के लिए संपत्ति जमा करने का आरोप लगा था।
इसके बाद 7 दिसंबर 1996 को जयललिता के साथ उन्हें गिरफ्तार किया गया। जयललिता, शशिकला और उनके रिश्तदारों वी एन सुधाकरन और इलावरसी पर आरोप है कि उन्होंने 1991 से 1996 के बीच जयललिता के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर 66.65 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति जुटाई।
मामले में सितंबर 2014 में बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने जयललिता शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को चार साल की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
इस मामले में शशिशकला को उकसाने और साजिश रचने का दोषी करार दिया गया था। हालांकि मई 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने जयललिता और शशिकला समेत सभी को बरी कर दिया था।
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इसके बाद कर्नाटक सरकार, डीएमके और सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने की सुनवाई के बाद पिछले साल जून में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की दलील थी कि हाईकोर्ट का फैसला गलत है।
सुप्रीम कोर्ट में शशिकला के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर मामले का फैसला आने तक उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए जाने से रोके जाने का आदेश दिए जाने की मांग की गई है।
फैसले से क्या हो सकता है-
यदि दो जजों की पीठ शशिकला पर एकमत नहीं होते हैं तो मामला तीन जजों की बेंच को भेजा जाएगा। ऐसा होना शशिकला के लिए बड़ी राहत होगी क्योंकि कर्नाटक हाईकोर्ट का बरी करने का फैसला अपने आप लागू हो जाएगा।
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सजा पर जजों के एकमत नहीं होने और बरी किए जाने पर शशिकला के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता आसान हो जाएगा। साथ ही पार्टी में पकड़ मज़बूत होगी।
Source : News Nation Bureau