logo-image

तमिलनाडु: केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में सीएम एमके स्टालिन का प्रस्ताव पेश

तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन कृषि संबंधी कानूनों (Agriculture Law) के विरोध में एक प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव में केन्द्र के तीनों कषि क़ानूनों को रद्द किए जाने की मांग की गई है.

Updated on: 28 Aug 2021, 12:07 PM

highlights

  • किसानों पर दर्ज केस भी लिए जाएंगे वापस
  • बीजेपी और AIADMK ने किया सदन से वॉकआउट
  • पंजाब और पश्चिम बंगाल भी पास कर चुके हैं प्रस्ताव

चेन्नई:

तमिलनाडु (Tamilnadu) के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (MK Stalin) ने विधानसभा में केंद्र सरकार के तीन कृषि संबंधी कानूनों (Agriculture Law) के विरोध में एक प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव में केन्द्र के तीनों कषि क़ानूनों को रद्द किए जाने की मांग की गई है. मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव को विधानसभा ने ध्वनिमत से पास कर दिया. इस प्रस्ताव के विधानसभा में पेश करने के साथ ही बीजेपी के विधायकों ने वॉक आउट कर लिया. तमिलनाडु से पहले इस तरह का प्रस्ताव पंजाब और पश्चिम बंगाल की पास कर चुके हैं. 

बीजेपी और AIADMK ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. इस प्रस्ताव के विरोध में बीजेपी और अन्नाद्रमुक के विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया. अन्नाद्रमुक विधायकों का कहना है कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में ये प्रस्ताव जल्दबाजी में लाया गया है. विधायकों ने कहा कि राज्य सरकार को इस प्रस्ताव को लाने से पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए थी और किसानों की भी राय लेना चाहिए थी.

यह भी पढ़ेंः अफगानिस्तान में और नहीं रुकेगा अमेरिका, 31 अगस्त की डेडलाइन पर कायम 

किसानों पर लगे केस होंगे वापस
एमके स्टालिन ने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे जिन लोगों पर केस दर्ज किए गए थे, उस सभी को वापस लिया जाएगा. देश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल नवंबर महीने से जुटे हैं लेकिन केन्द्र सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही है. किसानों केन्द्र सरकार के इस रवैये से नाराज़ हैं और वो क़ानून रद्द किए बिना मानने को तैयार नहीं है.

मई में, स्टालिन ने कहा कि सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव लाएगी जिसमें केंद्र से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए कहा जाएगा. उन्होंने द्रमुक के विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों में से एक को याद किया, जिसमें जिसने केंद्र सरकार से किसानों के उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते को रद करने के प्रयासों का वादा किया.