तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद एक वरिष्ठ महिला पत्रकार का गाल थपथपाने के मामले में बुधवार को माफी मांग ली। घटना की काफी निंदा हुई थी।
महिला पत्रकार लक्ष्मी सुब्रह्मण्यम को लिखे पत्र में, पुरोहित ने कहा, 'मैं आपकी भावना को ठेस पहुंचाने के लिए खेद प्रकट करता हूं और माफी मांगता हूं।'
पुरोहित ने कहा, 'जब हमलोग प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म कर जाने वाले थे, आपने मुझसे (मंगलवार को) सवाल पूछा।'
उन्होंने कहा, 'आपने अच्छा सवाल किया था। इसलिए उस सवाल की प्रशंसा के तौर पर, मैंने आपको अपनी पोती की तरह समझ कर आपके गाल को थपथपाया।'
पुरोहित ने कहा कि वह खुद ही 40 साल तक पत्रकार रहे हैं।
राज्यपाल ने कहा, 'मैंने आपके मेल से समझा है कि आपको उस घटना से दुख पहुंचा है। मैं आपकी भावना को ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगता हूं।'
राज्यपाल के पत्र पर सुब्रह्मण्यम ने ट्वीट किया, 'महोदय, चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जो कुछ हुआ, उसपर खेद प्रकट करने वाला आपका पत्र मुझे मिल गया है.. मैं आपकी माफी स्वीकार करती हूं, लेकिन मैं आपके तर्क से सहमत नहीं हूं कि आपने मेरे सवाल के जवाब में मेरा गाल थपथपाया।'
इससे पहले तमिलनाडु के पत्रकारों ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की निंदा की थी और इस कृत्य के लिए बिना शर्त माफी मांगने की उनसे मांग की थी।
पत्रकार लक्ष्मी सुब्रह्मण्यम ने एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिसमें राज्यपाल मंगलवार को राजभवन में उनके गाल थपथपाते दिखाई दे रहे हैं। सुब्रह्मण्यम ने राज्यपाल के इस आचरण (व्यवहार) पर आश्चर्य जताया था।
राज्यपाल ने राज्य में एक अग्रणी विश्वविद्यालय में कथित यौनाचार मामले में लगे आरोपों का खंडन करने के लिए राजभवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाया था।
जैसे ही प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त हुआ, राज्यपाल ने सुब्रह्मण्यम का गाल थपथपाया। महिला पत्रकार ने पुरोहित के इस कृत्य की निंदा की।
पत्रकारों ने इस संबंध में राज्यपाल को सूचित करने के लिए एक पत्र तैयार किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका(राज्यपाल) कृत्य एक गैर जमानती अपराध है।
पत्रकारों के लिखे पत्र के मुताबिक, 'हमारे तमिलनाडु राज्य के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते, आपने न केवल सामान्य आचरण की गरिमा लांघी है, बल्कि कानून का भी उल्लंघन किया है।''
पत्र में कहा गया है कि उनका इरादा चाहे जो भी रहा हो, उन्होंने तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम, 1998 का उल्लंघन किया है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की राज्यसभा सांसद कनिमोझी ने ट्वीट किया, 'भले ही इरादा संदेह से परे क्यों न हो, किसी महिला पत्रकार के निजी अंग का स्पर्श न तो मर्यादा प्रदर्शित करता है और न तो किसी मानव के प्रति जाहिर किया जाने वाला सम्मान ही।'
पत्रकारों ने राज्यपाल से बिना शर्त माफी की मांग की और आश्वासन मांगा था कि वह भविष्य में इस तरह का दुर्व्यवहार दोबारा नहीं करेंगे।
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Source : IANS