तमिलनाडु के पारंपरिक वायुवाद्य यंत्र, नरसिंहपेट्टई नागस्वर्म को कुंभकोणम के पारंपरिक ग्रामीण कारीगरों ने बनाया है, जिसे प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है।
जीआई रजिस्ट्री ने 31 जनवरी 2014 को दाखिल आवेदन के आधार पर पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया है।
तमिलनाडु सरकार के उत्पादों के जीआई पंजीकरण के नोडल अधिकारी, पी. संजय गांधी ने एक बयान में कहा कि नरसिंहपेट्टई नागस्वर्म के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन तंजावुर म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स वर्कर्स कोऑपरेटिव कॉटेज इंडस्ट्रियल सोसाइटी की ओर से दायर किया गया। उनकी टीम को सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि नरसिंगनपेट्टी गांव में स्थित कारीगर विशेष प्रसंस्करण कौशल के माध्यम से इन्हें बना रहे हैं। इन यंत्रों को बनाने की तकनीक और कौशल उनके पूर्वजों से विरासत में मिला हैं।
संजय गांधी ने कहा कि आज के कलाकार जिसे इस्तेमाल करते हैं, उस नागस्वर्म को परी नागेश्वरम कहा जाता है और यह थिमिरी से लंबा है। निर्माताओं के अनुसार नरसिंहपेट्टई नागस्वर्म का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक लकड़ी अचा से बनाया गया है और एक अद्वितीय ध्वनि मॉडुलन प्रदान करता है।
अपने खेत में काम करने वाले कारीगर एन. करुप्पुस्वामी ने आईएएनएस को बताया, हम पुराने घरों के कुछ हिस्सों की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं। हम बढ़ईगीरी के औजारों के अलावा ड्रिलिंग मशीनों का भी इस्तेमाल करते हैं। इसे मंदिरों के त्योहारों और शादियों जैसे समारोहों में व्यापक रूप से बजाया जाता है। हमें खुशी है कि हमारे उत्पाद को जीआई टैग मिला है।
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Source : IANS