logo-image

तमिलनाडु: पलानीसामी ने साबित किया बहुमत, डीएमके नेता स्टालिन ने बताया 'असंवैधानिक'

तमिलनाडु में जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री ई.के.पलानीसामी ने शनिवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। वहीं डीएमके नेता स्टालिन ने वोटिंग को असंवैधानिक करार दिया है।

Updated on: 19 Feb 2017, 09:11 AM

highlights

  • तमिलनाडु में मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने विश्वास मत हासिल किया
  • वोटिंग में पलानीसामी के समर्थन में 122 मत पड़े, कांग्रेस ने किया वॉकआउट
  • डीएमके नेता स्टालिन ने राज्यपाल को पत्र लिख वोटिंग को बताया असंवैधानिक
  • शशिकला के करीबी पलानीसामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री ई.के.पलानीसामी ने शनिवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। वहीं डीएमके नेता स्टालिन ने वोटिंग को असंवैधानिक करार दिया है।

स्टालिन ने गवर्नर सी. विद्यासागर राव को पत्र लिखकर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने एजेंडे के तहत डीएमके की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री के विश्वास मत जीतने का ऐलान कर दिया, जो असंवैधानिक है।

पलानीसामी 122 मत मिले, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम के खेमे में शामिल 11 विधायकों ने विश्वास मत के खिलाफ मतदान किया। पलानीस्वामी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

डीएमके नेता स्टालिन ने गवर्नर सी. विद्यासागर राव को पत्र लिखकर लोकतांत्रिक मूल्यों को फिर से स्थापित कराने की गुजारिश की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने अजेंडे के तहत डीएमके की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री के विश्वास मत जीतने का ऐलान कर दिया, जो असंवैधानिक है।

वोटिंग से पहले सदन में खूब हंगामा हुआ और विधायकों ने कुर्सियां भी तोड़ी। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की महासचिव वी.के.शशिकला खेमे के हैं।

गुप्त मतदान की मांग को लेकर हंगामा करने को लेकर विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के 88 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल ने सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया, जिसके बाद मतदान कराया गया। कांग्रेस ने भी इसके विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।

शशिकला के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके खेमे ने खुशियां मनाते हुए मिठाइयां बाटीं। शशिकला खेमे के एक नेता ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'गद्दारों की हार हुई।'

सदन में कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद पलानीसामी ने बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद विपक्ष के नेता एम.के.स्टालिन की उनके साथ तीखी नोकझोंक हुई। स्टालिन ने विधानसभा अध्यक्ष पी.धनपाल से गुप्त मतदान कराने का आग्रह किया।

और पढ़ें: तीसरे चरण में अखिलेश के लिए गढ़ बचाने की चुनौती

अध्यक्ष ने कहा कि उनके काम में विधायक दखलंदाजी नहीं कर सकते। स्टालिन ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया है, फिर इतनी जल्दबाजी क्या है?

इस बीच मुख्यमंत्री पलानीसामी का समर्थन करने वाले विधायक चुप रहे, जबकि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों ने धनपाल को चारों तरफ से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे।

उन्होंने सदन के एजेंडा पेपर को भी फाड़ दिया और कुर्सियों तथा माइक को इधर-उधर फेंक दिया। जब मार्शलों ने धनपाल को बचाकर बाहर ले जाने की कोशिश की तो डीएमके सदस्यों ने उन्हें दोबारा कुर्सी पर बैठा दिया। इस दौरान डीएमके का एक सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ गया।

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु विधानसभा हिंसा: उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कश्मीर, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी पहले हो चुका है लोकतंत्र शर्मसार

हंगामा जारी रहने पर धनपाल अपने चैंबर में चले गए और विधानसभा की कार्यवाही अपराह्न एक बजे तक के लिए, फिर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने भी गुप्त मतदान की मांग की थी। शनिवार सुबह तक सब कुछ पन्नीरसेल्वम के पक्ष में दिखाई दे रहा था, जबकि मुख्यमंत्री पलनीस्वामी परेशान नजर आए।

मतदान से पहले, एआईएडीएमके के पलानीसामी गुट को एक के बाद एक दो झटके लगे। कोयंबटूर उत्तर से विधायक अरुण कुमार ने शनिवार सुबह पाला बदल लिया। वहीं, शुक्रवार को एआईएडीमके से मयलापुर के विधायक तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर.नटराज ने कहा था कि वह पलनीस्वामी के खिलाफ मतदान करेंगे।

लेकिन विधानसभा में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्यों का हंगामा और उन्हें सदन से बाहर निकलवाने के बाद पूरा माहौल बदल गया। सदन से उन्हें और उनकी पार्टी के विधायकों को निकाले जाने के बाद स्टालिन ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री ई.के.पलानीसामी की सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की मांग की थी।

उन्होंने कहा कि पार्टी ने सदन की कार्यवाही एक सप्ताह तक स्थगित करने की मांग की थी, ताकि विधायक वापस अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाएं और विश्वास मत के लिए मतदान करने से पहले जनता की राय जानें।

विधानसभा चुनाव से जुड़ी हर बड़ी खबर के लिए यहां क्लिक करें

स्टालिन ने आरोप लगाया कि उन्हें मार्शलों के माध्यम से जबरदस्ती बाहर निकलवा दिया गया। इस दौरान उन्हें चोटें आईं और कमीज भी फट गई।

शशिकला के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके खेमा को 123 विधायकों का समर्थन प्राप्त था, जिनमें अध्यक्ष भी शामिल हैं। वहीं एआईएडीएमके के पन्नीरसेल्वम गुट को 11 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

विपक्षी डीएमके के पास 89, कांग्रेस के पास आठ, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के पास एक सदस्य हैं, जबकि एक सीट खाली है। विधानसभा में कुल 234 सीटें हैं, जिनमें से एक खाली है।

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु संकट: शशिकला का नया पता- बेंगलुरु सेंट्रल जेल, उनकी नयी पहचान- क़ैदी नंबर 9435

(IANS इनपुट के साथ)