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यूक्रेन छोड़ने वाले भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए रूस में पढ़ाई की बात

रूस द्वारा फरवरी में यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद 24,000 से अधिक भारतीय मेडिकल छात्रों ने यूक्रेन छोड़ दिया. अब इन मेडिकल छात्रों को रुस अपनी ओर आर्कषित कर रहा है. रुस का कहना है कि ये छात्र देश में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि दोनों देशों में पाठ्यक्रम एक समान है. युद्ध के कारण छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत लौटना पड़ा था. रूसी महावाणिज्यदूत ओलेग अवदीव ने चेन्नई में कहा, यूक्रेन छोड़ने वाले भारतीय छात्र रूस में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम लगभग समान है. वे लोगों की भाषा जानते हैं, जैसे यूक्रेन में, उनमें से अधिकांश रूसी बोलते हैं. रूस में उनका स्वागत है.

Updated on: 11 Nov 2022, 11:45 AM

नई दिल्ली:

रूस द्वारा फरवरी में यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद 24,000 से अधिक भारतीय मेडिकल छात्रों ने यूक्रेन छोड़ दिया. अब इन मेडिकल छात्रों को रुस अपनी ओर आर्कषित कर रहा है. रुस का कहना है कि ये छात्र देश में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि दोनों देशों में पाठ्यक्रम एक समान है. युद्ध के कारण छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत लौटना पड़ा था. रूसी महावाणिज्यदूत ओलेग अवदीव ने चेन्नई में कहा, यूक्रेन छोड़ने वाले भारतीय छात्र रूस में अपनी शिक्षा जारी रख सकते हैं, क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम लगभग समान है. वे लोगों की भाषा जानते हैं, जैसे यूक्रेन में, उनमें से अधिकांश रूसी बोलते हैं. रूस में उनका स्वागत है.

अवदीव से पहले, नई दिल्ली में रूसी दूतावास के मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने भी जून में भारतीय छात्रों को यह कहते हुए समर्थन की पेशकश की थी कि उन्हें अपने पिछले शैक्षणिक वर्षों को खोए बिना रूसी विश्वविद्यालयों में प्रवेश की पेशकश की जाएगी. रूसी महावाणिज्य दूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे छात्र पढ़ाई के लिए रूस जाते रहते हैं और यह करियर को कामयाबी तक पहुंचाने की ओर प्रवृत्ति है. उन्होंने कहा, जहां तक छात्रों का सवाल है, छात्र पढ़ाई के लिए रूस जाते रहते हैं. यह एक ऊपर की ओर रुझान है. रूस में अधिक से अधिक छात्र छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं.

सितंबर में, भारत के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने स्पष्ट किया था कि वह यूक्रेन के विश्वविद्यालयों के मेडिकल छात्रों को भारतीय कॉलेजों में समायोजित करने की योजना नहीं बना रहा है. स्थानीय मीडिया रिपोटरें के अनुसार, इनमें से कई छात्र मेडिकल छोड़ रहे हैं, दूसरे देशों के शिक्षण संस्थानों में स्थानान्तरण की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा, देश में मेडिकल कॉलेजों में सीट खोजने में मदद करने के लिए भारत सरकार के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

केंद्र सरकार के अनुरोध पर, उज्बेकिस्तान ने यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों को एक किफायती बजट पर 2,000 मेडिकल सीटों की पेशकश की है. हर साल, कई भारतीय छात्र चिकित्सा और अन्य विशिष्ट पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए यूक्रेन और रूस की यात्रा करते हैं. कीव के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने से पहले यूक्रे न में लगभग 18,095 भारतीय छात्र थे. 2020 में इसके 24 फीसदी विदेशी छात्र भारत से थे. चिकित्सा के क्षेत्र में ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट में सबसे बड़ी संख्या के मामले में यूक्रेन यूरोप में चौथे स्थान पर था. यूक्रेन में छह साल की मेडिकल डिग्री की कीमत 1.7 मिलियन रुपये है, जो भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों से कम है.