अफगान किसानों को जकात चुकाने के लिए मजबूर कर रहा है तालिबान
अफगान किसानों को जकात चुकाने के लिए मजबूर कर रहा है तालिबान
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान में नकदी की तंगी से जूझ रहा तालिबान शासन देश के संकटग्रस्त किसानों को उनकी जमीन और फसल पर तथाकथित दान या जकात कर चुकाने के लिए मजबूर कर रहा है, जिसमें भुगतान को इस्लामिक कानून के तहत एक दायित्व बताया गया है। यह जानकारी आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के जरिये मिली है।युद्ध, सूखा और कोविड-19 ने पूरे अफगानिस्तान के किसानों को तबाह कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब, पिछले एक साल में फसल उगाने की कोशिश में पैसा गंवाने वाले इन किसानों का कहना है कि तालिबान उन्हें एक और गंभीर झटका दे रहा है।
किसानों का कहना है कि तालिबान के कर संग्रहकतार्ओं ने उनकी संपत्ति के मूल्य का अनुमान लगाया है कि उन्हें उस मूल्य पर 2.5 प्रतिशत कर देना होगा।
तालिबान अपने धर्मार्थ करों को इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक के रूप में सही ठहराता है जिन्हें सभी मुसलमानों के लिए दायित्व माना जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जकात दयालुता या उदारता से धर्मार्थ उपहार देने के स्वैच्छिक कार्य से अलग है।
यह उन लोगों के लिए अनिवार्य है जो एक निश्चित राशि से अधिक आय अर्जित करते हैं, और यह एक व्यक्ति की आय के साथ-साथ उनकी संपत्ति के मूल्य पर आधारित है।
जकात जमा करने वालों को उनके काम का मुआवजा भी दिया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर के आलोचकों में इस्लामिक विद्वान और सहायता कर्मी शामिल हैं, जो इस बात पर ध्यान देते हैं कि यह प्रथा मुस्लिम दुनिया में गरीबी को कम करने में विफल रही है। उनका तर्क है कि धन अक्सर बर्बाद और कुप्रबंधित होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान की कर वसूली प्रक्रिया तब शुरू हुई जब स्थानीय आतंकवादियों ने स्थानीय मस्जिदों और आवासीय परिसर की दीवारों पर तथाकथित रात्रिकालीन पत्र पोस्ट किए।
मध्य अफगान प्रांत के किसानों का यह भी कहना है कि तालिबान बंदूकधारियों ने दशमांश और धर्मार्थ कर का भुगतान करने की मांग को लेकर रात में उनके घरों पर धावा बोल दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिनके पास भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं, उनका कहना है कि तालिबान ने उनके पशुओं को जब्त कर लिया है और उनके परिवारों को आने वाले महीनों में मानवीय सहायता पर और भी अधिक निर्भर बना दिया है।
काबुल में, तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कृषि मंत्रालय का कहना है कि वह राजस्व बढ़ाने और देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए किसानों, पशुपालकों और छोटे बगीचे वाले लोगों से दान कर एकत्र कर रहा है।
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