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नौकरी छोड़ने के बाद बचपन के सपने को गंभीरता से लिया, जागृति अवस्थी ने दूसरी कोशिश में ही लहराया परचम

नौकरी छोड़ने के बाद बचपन के सपने को गंभीरता से लिया, जागृति अवस्थी ने दूसरी कोशिश में ही लहराया परचम

Updated on: 25 Sep 2021, 10:35 PM

नई दिल्ली:

बचपन से ही एक कलेक्टर शब्द सुनते आये, लेकिन कभी उसे गंभीरता से नहीं लिया, हालांकि नौकरी करने के दौरान लगा कि नहीं अब मुझे सिविल सर्विस की ही तैयारी करनी चाहिए है। जागृती अवस्थी ने दूसरी रैंक हासिल करने के बाद यह बात कही।

दरअसल यूपीएससी ने सीएसई मेन 2020 फाइनल परीक्षा परिणाम जारी किया गया, मध्यप्रदेश की भोपाल निवासी जागृति अवस्थी ने परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल कर अपने माता पिता का नाम रौशन कर दिया है।

दरअसल संघ लोक सेवा आयोग की ओर से देश की ब्यूरोक्रेसी में नियुक्ति के लिए कुल 761 उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी। इनमें 545 बेटों ने परचम लहराया तो 216 बेटियों ने जीत के झंडे गाड़ दिए।

हालांकि महिला उम्मीदवारों में जागृति अवस्थी ने टॉप किया है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, बहुत अच्छा लग रहा है और ये मेरी उम्मीद से बढ़कर है। बस यही आशा करूंगी की जितनी सराहना अभी हो रही है उतनी ही सराहना भविष्य में मेरे काम के प्रति भी हो।

24 वर्षीय जागृति के परिवार में माता-पिता और एक भाई है। जागृति के पिता पेशे से होमियोपैथिक डॉक्टर हैं। वहीं मां एक स्कूल टीचर थीं, हालंकि जागृति की पढ़ाई में मदद करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी।

उन्होंने आगे कहा कि, बचपन से ही सुनते आ रहे थे कि कलेक्टर शब्द कुछ होता है लेकिन कभी गंभीरता से इसे नहीं लिया था। क्योंकि मिडल क्लास परिवार में एक आर्थिक मजबूती होना जरूरी होती है। यही सोचते हैं कि परिवार पर अब ज्यादा बोझ न डाला जाए।

जागृति अवस्थी ने भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में ग्रेजुएशन किया है।

जागृति ने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए 2 साल भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) में नौकरी की लेकिन इसी दौरान उन्हें प्रतीत हुआ कि अब उन्हें ये नौकरी छोड़ अपनी सिविल सर्विस की तैयारी करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, 2 साल नौकरी करने के दौरान जून 2019 में मैंने पहली कोशिश की और प्रीलिम्स दिया लेकिन मुझसे वही नहीं निकला, जिसके बाद मैंने जुलाई 2019 में नौकरी छोड़ दी थी। क्योंकि नौकरी करने के दौरान बचपन के इस सोच को मैंने गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था।

कोविड महामारी के वक्त को याद कर जागृति बताती है कि, इस दौरान बड़े ही उतार चढ़ाव आए, सब कुछ बंद होने के कारण खुद से पढ़ाई की, हालांकि समय भी ज्यादा मिल गया था और कमजोर महसूस न करूं इसलिए परिवार का सहयोग भी बना रहा।

जागृति ने कोविड के दौरान जमकर पढ़ाई की, 8 घंटे पढ़ाई कर उन्होंने इस समय को बढ़ाया और फिर 14 घंटे तक पढ़ाई की। यही कारण है कि दूसरी बार की कोशिश में ही जागृति ने यूपीएससी क्लीयर कर दिया।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.