केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से पूछा कि ताजमहल शाहजहां द्वारा बनवाया गया एक मकबरा है या शिव मंदिर, जिसे एक राजपूत राजा ने मुगल बादशाह को तोहफे में दिया था।
इतिहासकार पीएन ओक के दावे पर एक वकील ने यह मामला उठाया है। विभिन्न अदालतों से होता हुआ यह मामला आरटीआइ के माध्यम से सीआइसी के पास आया। अब यह मामला संस्कृति मंत्रालय के दरवाजे पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला खारिज हो चुका है जबकि कुछ अदालतों में अभी तक लंबित है।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने हालिया आदेश में कहा कि मंत्रालय को इस मुद्दे पर विवाद खत्म करना चाहिए। साथ ही सफेद संगमरमर से बने दुनिया के सात अजूबों में से एक इस मकबरे के बारे में संदेह दूर करना चाहिए।
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उन्होंने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को कुछ मामलों में पक्षकार बनाया गया था। एएसआइ अपनी तरफ से दायर शपथ पत्र की कॉपी उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा, 'एएसआइ को आयोग निर्देश दे रहा है कि अतिरिक्त शुल्क लेकर याचिकाकर्ता को सभी कॉपियां उपलब्ध कराए। यह कदम 30 अगस्त 2017 से पहले उठाए जाएं।'
दरअसल, बहुत से लोग कहते हैं कि ताजमहल 'ताजमहल' नहीं है बल्कि 'तोजो महलय' है। शाहजहां ने इसका निर्माण नहीं किया था, यह राजा मान सिंह ने उन्हें भेट किया था।
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Source : News Nation Bureau