तबलीगी जमात पर बैन लगे, गिरा दी जाए निजामुद्दीन मरकत की बिल्डिंग, SC में दायर हुई याचिका

तबलीगी जमात पर बैन लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme corut) में एक याचिका दायर की गई है. इसके साथ ही सीबीआई जांच की मांग की गई है.

तबलीगी जमात पर बैन लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme corut) में एक याचिका दायर की गई है. इसके साथ ही सीबीआई जांच की मांग की गई है.

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nitu pandey
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सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

देश में कोरोना वायरस (coronavirus) के तेजी से बढ़ते मामलों के पीछे दिल्‍ली के निजामुद्दीन में हुआ तबलीगी जमात (tablighi jamaat) का कार्यक्रम अहम भूमिका निभाया है. जिसे लेकर पूरे देश भर में रोष है. तबलीगी जमात की गतिविधियों को पूरी तरह बैन की मांग हो रही है. तबलीगी जमात पर बैन लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme corut) में एक याचिका दायर की गई है.

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हिंदू महासभा से जुड़े अजय गौतम ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बोबडे को खत लिखकर इस बात की CBI जांच की मांग की है कि कहीं धार्मिक सम्मेलन की आड़ में जमात की साजिश देश में कोरोना फैलाने की तो नहीं थी. इसके साथ ही याचिका में तबलीगी जमात पर पूरी तरह बैन लगाने की मांग की है. साथ ही जमात के निजामुद्दीन दफ्तर को ध्वस्त किए जाने की भी मांग की गई है.

दिल्ली नगर निगम कानून के प्रावधानों के तहत निजामुद्दीन का भवन गिराने का अनुरोध 

गौतम ने दिल्ली नगर निगम कानून के प्रावधानों के तहत इस संगठन के निजामुद्दीन स्थित भवन को गिराने का निर्देश दिल्ली सरकार को देने का भी अनुरोध किया है. गौतम ने इस पत्र याचिका को रिट याचिका के रूप में विचार करने का अनुरोध प्रधान न्यायाधीश से किया है.

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1,145 मामलों का संबंध तबलीगी जमात के आयोजन से रहा है

दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम इलाके में पिछले महीने तबलीगी जमात के मुख्यालय में धार्मिक आयोजन हुआ था जिसमे कम से कम 9 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि कोरोनावायरस के संक्रमण के चार हजार से ज्यादा मामलों में से कम से कम 1,145 मामलों का संबंध तबलीगी जमात के आयोजन से रहा है.

लॉकडाउन के दौरान हुआ था कार्यक्रम 

पत्र में पुलिस और स्थानीय प्रशासन के उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है जो 50 से अधिक व्यक्तियों के एक स्थान पर एकत्र होने सबंधी दिल्ली सरकार के आदेशों पर अमल करने में विफल रहे. बाद में यह संख्या घटाकर 20 कर दी गयी थी. पत्र याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 12 से 15 मार्च के दौरान इस आयोजन में दूसरे देशों के ऐसे अनेक नागरिकों ने हिस्सा लिया था जो कोरोनावायरस से संक्रमित थे.

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वहीं 6 अप्रैल को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. उसने कहा कि मीडिय का एक हिस्सा तबलीगी जमात के मरकज को लेकर उन्माद फैला रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने SC केंद्र को 'फेक न्‍यूज' रोकने और इसे फैलाने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश देने को कहा था.

जमीयत उलेमा ने भी सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द और उसके कानूनी प्रकोष्ठ के सचिव ने अपने वकील एजाज मकबूल के माध्यम से कहा था कि तबलीगी जमात से संबंधित दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिये हो रहा है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने याचिका में कहा है कि इस तरह से एक समुदाय को बदनाम किये जाने से मुसलमानों की जिंदगी और उनकी आजादी को गंभीर खतरा पैदा हो गया है और इससे संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीने के अधिकार का हनन हो रहा है.

(इनपुट भाषा)

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