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सीतलकुची पर राजनीतिः BJP ने कहा ममता के इशारे पर काम कर रही CID

सीतलकुची हिंसा की सीआईडी जांच पर बीजेपी का पलटवार. कहा ममता सरकार के इशारे पर काम कर रही सीआईडी.

Updated on: 11 May 2021, 12:23 PM

highlights

  • सीतलकुची हिंसा की सीआईडी जांच पर राजनीति गर्माई
  • बीजेपी ने कहा सीआईडी के अधिकार क्षेत्र के बाहर है जांच
  • सीआईडी पर बदले की भावना से काम करने का आरोप

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में सीतलकुची (SitalKuchi) हिंसा पर अब राजनीति गर्मा गई है. ममता सरकार ने जहां सीतलकुची हिंसा पर सीआईडी जांच बैठा दी है, जिसके तहत दो अधिकारियों समेत आधा दर्जन सीआईएसएफ जवानों को समन जारी किया गया है. जारी समन में सभी को मंगलवार को सीआईडी कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया गया है. इस बीच बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने दो टूक कहा है कि ममता बनर्जी सरकार इस पर राजनीति कर रही है. सीतलकुची हिंसा सीआईडी के दायरे में आती ही नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह है कि सीआईएसएफ औऱ सीआरपीएफ गृह मंत्रालय के अधीन है. ऐसे में सीआईडी ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के इशारे पर काम कर रही है. 

चौथे चरण के मतदान के दौरान हुई थी हिंसा
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के चुनाव के दौरान कूचबिहार जिले के सीतलकुची में सेंट्रल फोर्स की फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में एक महीने बाद सोमवार यानी 10 मई 2021 को पश्चिम बंगाल की सीआईडी ने सीआरपीसी की धारा 160 के तहत सीआईएसएफ के 6 जवानों को समन जारी किया है, जिसमें दो अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि थाने में तैनात एएसआई रैंक के दो अधिकारियों सुब्रत मंडल और राफा बर्मन को भी पूछताछ के लिए मंगलवार को बुलाया गया है.

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केंद्रीय बलों ने आत्मरक्षा में चलाई थी गोली
इस बीत नंदीग्राम से विधायक और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी राज्य में हो रही राजनीतिक हिंसा के खिलाफ हमला तेज कर दिया है. उन्होंने सीतलकुची मामले पर कहा कि यह सीआईडी के दायरे में नहीं आता है, क्योंकि सीआरपीएफ और सीआईएसएफ गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है. ऐसे में सीआईडी ममता बनर्जी और टीएमसी के निर्देश पर काम कर रही है. गौरतलब है कि सीतलकुची घटना को लेकर यह भी कहा गया था कि सीआईएसएफ के जवानों ने अपनी आत्मरक्षा के लिए फायरिंग की थी. पश्चिम बंगाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनते ही ममता बनर्जी ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था.