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MP, CG और राजस्थान में कौन होगा सीएम उम्मीदवार, राहुल गांधी पर टिकी निगाहें

मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है. वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत के नाम लगभग तय माना जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ में अभी भी असमंजस की स्थिती बनी हुई है.

Updated on: 13 Dec 2018, 07:37 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस पार्टी के लिए तीन राज्यों का चुनाव जीतने के बाद सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इन राज्यों की कमान किसके हाथ सौंपी जाए. विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद 48 घंटे से ज़्यादा का समय बीत चुका है इसके बावजूद कांग्रेस अब तक मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री का फ़ैसला नहीं हो पाया है. अब तक की जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है. वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत के नाम लगभग तय माना जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ में अभी भी असमंजस की स्थिती बनी हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए सीएम चुनने की ज़िम्मेदारी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी मानी जा रही है.

इस बीच राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थकों ने करौली में रास्ता जाम कर दिया है. हालांकि सचिन पायलट ने अपने समर्थकों से शांति कायम रखने की अपील करते हुए कहा है कि 'मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि शांति और मर्यादा का ख़्याल रखें. मुझे अपने नेतृत्व पर भरोसा है इसलिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी का जो भी फ़ैसला होगा वही सर्वमान्य होगा. यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमलोग पार्टी की मर्यादा को कायम रखें क्योंकि हमलोग पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं.'

वहीं मुख्यमंत्री के फ़ैसले में हो रही देरी को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, 'मुख्यमंत्री को लेकर जल्द ही फ़ैसला लिया जाएगा, चिंता की कोई बात नहीं. तीन राज्यों के सीएम तय करने हैं इसलिए समय लग रहा है. यह बेहद सामान्य प्रक्रिया है पार्टी अध्यक्ष अंतिम फ़ैसला सुनाएंगे.' 

गहलोत ने कहा, 'मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वह शांति बनाकर रखें, आप लोगों ने चुनाव के दौरान काफी संघर्ष किया है, जो भी फ़ैसला लिया जाएगा हमलोग उसे मानेंगे. राहुल जी सभी नेताओं से बात कर रहे हैं.'

मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के बीच पोस्टर वॉर छिड़ गया है. कमलनाथ के समर्थकों ने भोपाल में पार्टी ऑफ़िस के बाहर एक पोस्टर टांगा है जिसमें उन्हें मुख्यमंत्री घोषित कर उन्हें बधाईयां दी गई है. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी 'माफ करो शिवराज, हमारे सीएम महाराज' नाम के पोस्टर बैनर लेकर भोपाल कांग्रेस ऑफ़िस के बाहर डटे हुए हैं.

बाताया जा रहा है कि राहुल गांधी को फ़ैसला लेने में हो रही देरी को देखते हुए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी उनके आवास पर मिलने पहुंची हैं. ज़ाहिर है इस फ़ैसले के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर मनमुटाव बढ़ने का ख़तरा बढ़ सकता है. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी तीनों प्रदेश की कमान एक ऐसे हाथ में देना चाहते हैं जो बहुत कम समय में बेहतर परफॉर्म कर दिखा सके.

गहलोत इससे पहले भी दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और इस दौरान उन्होंने सभी वर्गों का ख़्याल रखते हुए राजस्थान के विकास का बेहतर ख़्याल रखा था. इतना ही नहीं गुजरात चुनाव के दौरान बतौर राज्य प्रभारी रहते हुए अशोक गहलोत ने बेहतर नेतृत्व का परिचय दिया था और लगभग समाप्त हो चुकी कांग्रेस को 182 सीट में से 80 सीट दिलाई. जबकि 22 साल से सत्ता में रह रही बीजेपी को मात्र 99 सीट पर रोक दिया.

वहीं मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमलनाथ पर भरोसा जताती दिख रही है. कमलनाथ गांधी परिवार के काफी क़रीबी माने जाते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थी. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश चुनाव में लगातार तीन बार की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को हराकर कांग्रेस की वापसी करवाने में अहम भूमिका मानी जा रही है. इसके अलावा कमलनाथ कांग्रेस का पुराना चेहरा हैं. वो इससे पहले यूपीए सरकार के दौरान बतौर केंद्रीय मंत्री भी काम कर चुके हैं. कमलनाथ एक ऐसे नेता हैं जो गठबंधन धर्म को बेहतर तरीके से निभा सकते हैं.

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हालांकि आख़िरी फ़ैसले का इंतज़ार है, सभी की निगाहें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अटकी है.